राष्ट्रपति भवन में पद्म पुरस्कारों से सम्मानित हुई 72 साल की आदिवासी महिला तुलसी गौड़ा का नाम दुनियाआदर से ले रही है। उन्हें पर्यावरण की सुरक्षा में उनके योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया। 12 साल की उम्र से पर्यावरण संरक्षण – दरअसल तुलसी गौड़ा ने अपनी बाल्य अस्वथा यानि 12 साल के उम्र से ही कई सारे पेड़ लगाएं और उनका पालन-पोषण किया। इतना ही नहीं बल्कि तुलसी गौड़ा अस्थायी स्वयंसेवक के रूप में वनविभाग में शामिल भी हुई। वहां पर्यावरण के संरक्षण के लिए उनके सम,समर्पण और सराहनीय कार्य के लिए वहां उन्हें जाना गया। इसके बाद उन्हें वन विभाग में स्थायी नौकरी का ऑफर दिया गया।
72 साल की उम्र में भी पर्यावरण संरक्षण का कार्य जारी आज तुलसी गौड़ा की उम्र 72 वर्ष है। इसके बावजूद वे अपने पथ पर निरंतर कार्य कर रही है। आज भी तुलसी पर्यावरण सरंक्षण के महत्व को बढ़ावा देने के लिए कई सारे पौधों का पोषण करती है और अपने अमूल्य ज्ञान को युवा पीढ़ी के साथ साझा करती है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 119 हस्तियों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया है। इस बार 7 हस्तियों को पद्म विभूषण, 10 को पद्म भूषण और 102 को पद्म श्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। पद्म पुरस्कारों से सम्मानित करने का समारोह राष्ट्रपति भवन में हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह भी इस सम्मान समारोह में मौजूद रहे। । जिन्होंने समाज के हित के लिए काम किया है। आइये जानते हैं इन हस्तियों के बारे में।
भूरी बाई – राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा राष्ट्रपति भवन में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित हुईं ‘भुरी बाई’ की हर तरफ चर्चा है। भूरी बाई को कला के क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य करने के लिए पद्मश्री दिया गया है। आदिवासी समुदाय से आने वाली भूरी बाई, मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के पिटोल गांव की रहने वाली हैं। बचपन से ही भूरी बाई चित्रकारी करने की शौकीन थी। केवाई वेंकटेश कर्नाटक के पैरा एथलीट केवाई वेंकटेश को पद्मश्री से सम्मानित किया गया। छोटे कद के खिलाड़ी ने सबका ध्यान आकर्षित कर दिया। राष्ट्रपति खुद वेंकटेश के साथ मंच से नीचे उतारकर बराबर सतह पर आ गए और पैरा एथलीट को पद्मश्री का बैज पहनाया।
मोहम्मद शरीफ: लावारिश लाशों के मसीहा पद्म श्री से नवाजे गए अयोध्या के रहने वाले चीचा मोहम्मद शरीफ। इन्हें लावारिश लाशों का अंतिम संस्कार करने वाले व लावारिश लाशों के मसीहा के रूप में जाना जाता है।राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा सम्मानित किया गया। अब तक उन्होंने 5 हज़ार से ज़्यादा लावारिश लाशों का अंतिम संस्कार किया है। मोहम्मद शरीफ ने 1993 में अपने बेटे का अंतिम संस्कार न कर पाने से आहत होकर ये तय किया कि अब कोई भी लाश लावारिश नहीं रहेगी।सुदर्शन साहू: पद्म विभूषण ओडिशा के चर्चित मूर्तिकार सुदर्शन साहू को कला के क्षेत्र में योगदान के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है. उनकी बनाई कलाकृतियों की चर्चा दुनियाभर में होती है.
नरिंदर सिंह कपानी: पद्म विभूषण केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से की गई घोषणा के मुताबिक, फाइबर आप्टिक्स के क्षेत्र में अपने काम के लिए प्रख्यात भारतीय-अमेरिकी भौतिक विज्ञानी नरिंदर सिंह कपानी को भी मरणोपरांत पद्म विभूषण प्रदान किया गया.मृदुला सिन्हा, पीटर ब्रूक समेत 102 हस्तियों को पद्म श्री गोवा की पूर्व राज्यपाल मृदुला सिन्हा (Mridula Sinha), ब्रिटिश फिल्म निर्देशक पीटर ब्रूक (Peter Brook), फादर वलिस (मरणोपरांत), प्रोफेसर चमन लाल सप्रू (मरणोपरांत) समेत कुल 102 हस्तियों को पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया. वहीं खास बात यह है कि पद्म पुरस्कार पाने वालों में 29 महिलाएं हैं जबकि 10 लोग अनिवासी भारतीय (NRI), भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO) व ओवरसीज सिटीजन आफ इंडिया हैं. इनमें एक ट्रांसजेंडर है.
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