वास्तु के जानकारों का कहना है कि घर की छत पर रखे फालतू सामान यानि कबाड़े से परिवार में कलह शुरु हो जाती है जो समय के साथ बढ़ती जाती है. और एक समय ऐसा आता है कि ये विद्रोह में बदल जाती है. इसीलिए वास्तु शास्त्र के नियमों के मुताबिक, घर की छत पर कोई भी फालतू सामान या कबाड़ा नहीं रखना चाहिए.
वास्तु के अनुसार ऐसा करने से परिवार के सदस्यों के मन और मस्तिष्क पर नकारात्मक असर पड़ता है और पितृ दोष भी लगता है. पूरे घर का माहौल खराब हो जाता है. साथ ही यह आपके घर में कलह का कारण भी बन सकता है. यदि आपके घर में भी बिना उपयोग का फालतू सामान बहुत समय से पड़ा है तो उसे घर के बाहर कर दीजिए. अगर घर में ऐसा कोई सामान है जो उपयोगी तो है परंतु अभी उसका कोई काम नहीं है तब भी उसे घऱ में इधर-उधर न फेंके. ऐसा करना भी वास्तु के नियमों के विरुद्ध है.
तमाम लोगोंं को अपने घर में गार्डन या बगीचा लगाने का शौक होता है. ऐसे में वह कई बार इस तरह के पेड़ पौधे लगा लेते हैं जिन्हें घर के अंदर लगाना शुभ नहीं माना जाता. वास्तु शास्त्र के अनुसार घर पर पेड़ पौधे लगाने से पॉजिटिव एनर्जी आती है. पेड़ लगाने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. वास्तु के अनुसार हर एक चीज के रख-रखाव की एक दिशा निर्धारित होती है. घर का गार्डन यानी बगीचा भी वास्तु के मुताबिक ही होना चाहिए.घर में बगीचा बनाने के लिए उत्तर और पूर्व की दिशा सबसे शुभ मानी जाती है.
दक्षित और पश्चिम दिशाएं गार्डन के लिए सही नहीं हैं, लेकिन अगर आपके पास कोई विकल्प नहीं है तो गमलों में पौधे लगाए जा सकते हैं. उत्तर दिशा में बगीचा करियर के लिए नए अवसर और समृद्धि प्रदास करता है. उत्तर दिशा में गार्डन में अगर तुसृलसी का पौधा लगाएं तो बहुत शुभ माना जाता है. इस दिशा में बने गार्डन में कैक्टस का पौधा कभी न लगाएं. अगर वाटर फाउंटेन पसंद है तो उत्तर दिशा में लगा सकते हैं. अन्य दिशाओं में इसे लगाना अशुभ माना जाता है.
घर के इस हिस्से को खाली रखने से बढ़ता है धन घर में इधर-उधर पड़ी चीजों का भी हमारी तरक्की और सुख-समृद्धि से गहरा नाता होता है. वास्तु शास्त्र के नियमों के मुताबिक, घर के कुछ स्थानों पर कोई भी सामान रखना अशुभ होता है.घर में इधर-उधर पड़ी चीजों का भी हमारी तरक्की और सुख- मृद्धि से गहरा नाता होता है. वास्तु शास्त्र के नियमों के मुताबिक, घर के कुछ स्थानों पर कोई भी सामान रखना अशुभ होता है. अगर किसी परिवार में ऐसा होता है वहां दरिद्रता निवास करने लगती है और परिवार खराब आर्थिक स्थिति का सामना करने लगता है. शास्त्र के अनुसार ब्रह्मा और इंद्र पूर्व दिशा के स्वामी होते हैं. पूर्व दिशा सूर्योदय की दिशा भी है
. इस दिशा से सकारात्मक व ऊर्जावान किरणें हमारे घर में प्रवेश करती हैं. घर के मालिक की लंबी उम्र व संतान सुख के लिए घर के प्रवेश द्वार व खिड़की का इस दिशा में होना शुभ माना जाता है. बच्चों को भी इसी दिशा की ओर मुख करके पढ़ना चाहिए. इस दिशा में दरवाजे पर मंगलकारी तोरण लगाना शुभ होता है. घर के पूर्वी हिस्से में अधिक खाली जगह हो तो धन एवं वंश की वृद्धि होती है. भूखंड पर बने भवन, कमरों, बरामदों में भी पूर्वी हिस्सा नीचा हो तो उस घर में रहने वाले लोग प्रत्येक क्षेत्र में तरक्की करते हैं और स्वस्थ रहते हैं.]पूर्व दिशा में निर्मित मुख्य द्वार तथा अन्य द्वार भी केवल पूर्वमुखी हो तो शुभ परिणाम सामने आते हैं.
घर की पूर्व दिशा में दीवार जितनी कम ऊंची होगी उतना ही मकान मालिक को यश-प्रतिष्ठा, सम्मान प्राप्त होगा. ऐसे मकान में रहने वाले लोगों को आयु और आरोग्य दोनों की प्राप्ति होती है. किसी भी प्रकार के निर्माण से इस दिशा को बाधित नहीं करें और जितना संभव हो इस दिशा को खुला छोड़ें.
यदि इस दिशा का क्षेत्रफल पश्चिम से कम है या यह अधिक ऊंची उठी हुई है तो आपके शत्रुओं की शक्ति बढ़ेगी और आप कमजोरी महसूस करेंगे. साथ ही आपको निरंतर विफलता का सामना करना पड़ेगा. अगर घर के सामने ‘टी’ नुमा रास्ता हो तो पूर्व मुखी मकान भी अशुभ परिणाम देगा. वास्तु दोष को दूर करने के लिए घर में 9 दिन तक अखंड रामायण का पाठ करवाएं. घर के उत्तर-पूर्व कोने पर एक कलश रख दें और अगर वह कलश मिट्टी का होगा तो ज्यादा बेहतर रहेगा.
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