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1857 क्रांति के जनक मंगल पांडेय vs कांग्रेस पार्टी के नेता गौरव पांधी ?

नया प्रोपेगंडा, कोवैक्सीन में बछड़े के सीरम का इस्तेमाल हुआ, स्वास्थ्य मंत्रालय ने दावे को बताया झूठा

भारत के स्वाधीनता संग्राम में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को लेकर भारत सरकार द्वारा उनके सम्मान में सन् 1984 में एक डाक टिकट जारी किया गया।

भारत को अंग्रेज़ों के चंगुल से आज़ाद करने के लिए हिन्दू मुस्लिम सहित भारत के सभी देशभक्तों ने १८५७ में  भारत का प्रथम स्वतत्रंता संग्राम किया था.

भारत बायोटेक के बाद केंद्र सरकार ने भी कर दिया स्पष्ट, कोवैक्सीन के निर्माण में कोई बछड़ा सीरम नहीं

विवादित बयान कांग्रेस पार्टी के नेता गौरव पांधी ने दिया है। कांग्रेस के नेशनल कम्युनिकेशन कॉर्डिनेटर गौरव पांधी ने भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को लेकर भ्रम फैलाने की कोशिश की है। पांधी ने एक RTI में मिले जवाब के हवाले से कहा है कि कोवैक्सीन को बनाने में गाय के बछड़े के सीरम का इस्तेमाल किया जाता है, जिसकी उम्र 20 दिन से भी कम होती है। कांग्रेस पार्टी ने इस विवाद के जरिए 21 जून से शुरू होने वाले राष्ट्रव्यापी वैक्सीनेशन अभियान को पटरी से उतारने की कोशिश की है।

सन् १८५७ के सैनिक विद्रोह की एक झलक

जन्म        30 जनवरी 1831 नगवा, बलिया, भारत

मृत्यु        8 अप्रैल 1857

बैरकपुर, कलकत्ता, भारत

व्यवसाय                बैरकपुर छावनी में बंगाल नेटिव इन्फैण्ट्री की ३४वीं रेजीमेण्ट में सिपाही

प्रसिद्धि कारण      भारतीय स्वतन्त्रता सेनानी

धार्मिक मान्यता    हिन्दू

आजादी का बिगुल बजाने वाले 1857 क्रांति के जनक मंगल पांडेय मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई 1827 को हुआ था. उनका जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा नामक गांव में एक भूमिहार ब्राह्मण परिवार में हुआ था.8 अप्रैल को भारत माता के वीर सपूत मंगल पांडे को फांसी की सजा मिली थी. मंगल पांडे देश की आजादी का बिगुल बजाया था. 1857 क्रांति का जनक मंगल पांडे को फांसी पर लटका दिया था. उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई 1827 को हुआ था. उनका जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा नामक गांव में एक भूमिहार ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम दिवाकर पांडे था.

ब्राह्मण होने के बावजूद भी मंगल पांडेय 1849 में 22 साल की उम्र में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हो गए. मंगल पांडेय भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने 1857 में भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वे ईस्ट इंडिया कंपनी की 34वीं बंगाल इंफेन्ट्री के सिपाही थे. भारत के स्वाधीनता संग्राम में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उनके सम्मान में भारत सरकार ने 1984 में एक डाक टिकट जारी किया था.

1857 का विद्रोह – विद्रोह की शुरुआत एक बंदूक की वजह से हुई. बंदूक को भरने के लिए कारतूस को दांतों से काट कर खोलना पड़ता था और उसमे भरे हुए बारुद को बंदूक की नली में भर कर कारतूस को डालना पड़ता था. कारतूस का बाहरी आवरण में चर्बी होती थी, जो कि उसे पानी की सीलन से बचाती थी.

सिपाहियों के बीच अफ़वाह फ़ैल चुकी थी कि कारतूस मे लगी हुई चर्बी सुअर और गाय के मांस से बनायी जाती है। यह हिन्दू और मुसलमान सिपाहियों दोनो की धार्मिक भावनाओं के विरुद्ध था। अंग्रेज अफ़सरों ने इसे अफवाह बताया और सुझाव दिया कि सिपाही नये कारतूस बनाये जिसमे बकरे या मधुमक्क्खी की चर्बी प्रयोग की जाये। इस सुझाव ने सिपाहियों के बीच फ़ैली इस अफवाह को और मज़बूत कर दिया। दूसरा सुझाव यह दिया गया कि सिपाही कारतूस को दांतों से काटने की बजाय हाथों से खोलें। परंतु सिपाहियों ने इसे ये कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि वे कभी भी नयी कवायद को भूल सकते हैं और दांतों से कारतूस को काट सकते हैं। तत्कालीन अंग्रेज अफ़सर प्रमुख (भारत) जार्ज एनसन ने अपने अफ़सरों की सलाह को दरकिनार हुए इस कवायद और नयी बंदूक से उत्पन्न हुई समस्या को सुलझाने से मना कर दिया।[1]

29 मार्च सन् 1857 को बैरकपुर परेड मैदान कलकत्ता के निकट नए कारतूस के प्रयोग करवाया गया, मंगल पण्डे ने आज्ञा मानने से मना कर दिया और धोखे से धर्म भ्रष्ट करने की कोशिश के ख़िलाफ़ उन्हें भला बुरा कहा, इस पर अंग्रेज अफ़सर ने सेना को हुकम दिया की उसे गिरफ्तार किया जाये, सेना ने हुकम नहीं मना। पलटन के सार्जेंट हडसन स्वंय मंगल पांडे को पकड़ने आगे बड़ा तो, पांडे ने उसे गोली मार दी, तब लेफ्टीनेंट बल आगे बड़ा तो उसे भी पांडे ने गोली मार दी। मौजूद अन्य अंग्रेज सिपाहियों नें मंगल पांडे को घायल कर पकड़ लिया।

8 अप्रैल को फ़ांसी दे दी गयी – जनरल ने मंगल पांडेय को गिरफ़्तार करने का आदेश दिया. सिवाय एक सिपाही शेख पलटु को छोड़ कर सारी रेजीमेंट ने मंगल पांडेय को गिरफ़्तार करने से मना कर दिया. मंगल पाण्डेय ने अपने साथियों को खुलेआम विद्रोह करने के लिए कहा, लेकिन किसी के ना मानने पर उन्होंने अपनी बंदूक से अपनी प्राण लेने का प्रयास किया. परन्तु वे इस प्रयास में केवल घायल हुए. 6 अप्रैल 1557 को मंगल पांडेय का कोर्ट मार्शल कर दिया गया और 8 अप्रैल को फ़ांसी दे दी गयी.

गौरव पांधी ने उन्होंने एक वीडियो मैसेज के जरिए केंद्र की बीजेपी सरकार पर लोगों की भावनाओं को आहत करने के आरोप लगाए हैं। पांधी ने कहा कि सरकार ने मान लिया है कि भारत बायोटेक की वैक्सीन में गाय के बछड़े का सीरम शामिल है। यह बहुत बुरा है। इस जानकारी पहले ही लोगों को दी जानी चाहिए थी।
कोवैक्सीन बनाने में गाय के बछड़े का सीरम इस्तेमाल करने के कॉन्ग्रेस के नेशनल कॉर्डिनेटर गौरव पांधी के दावे को स्वास्थ्य मंत्रालय में गलत बताया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को कहा, “कोवैक्सीन बनाने के संबंध में कुछ सोशल मीडिया पोस्ट द्वारा बताया गया है कि इसमें नवजात बछड़े का सीरम होता है। इन पोस्ट में तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है।” स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि अंतिम रूप से तैयार कोरोना के टीके में गाय का सीरम नहीं होता है और टीका निर्माण की अंतिम प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले सामग्री में भी इसका प्रयोग नहीं होता है।


स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि नवजात बछड़े के सीरम का इस्तेमाल केवल वायरो सेल्स के विकास एवं उसकी तैयारी में किया जाता है।वायरो सेल्स के विकास में दुनिया भर में अलग-अलग जानवरों के सीरम का इस्तेमाल किया जाता है। यह एक मानक रूप है। कोशिकाओं का जीवन बढ़ाने के लिए वायरो सेल्स का इस्तेमाल किया जाता है और वैक्सीन के उत्पादन में मदद मिलती है। इस पद्धति का इस्तेमाल पोलियो, रैबीज एवं इन्फ्लुएंजा के टीकों के निर्माण में होता आया है। कांग्रेस नेता गौरव पांधी के इस बयानबाजी के खिलाफ देश के लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है और लोगों ने भ्रम फैलाने के लिए गौरव पांधी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।