पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर ने यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर दायर आपराधिक मानहानि मामले में पत्रकार प्रिया रमानी को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया। न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता के समक्ष गुरुवार को सुनवाई के लिए याचिका आने वाली है। अकबर ने इस मामले में रमानी को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के 17 फरवरी के आदेश को चुनौती दी है कि एक महिला को दशकों बाद भी अपनी पसंद के किसी भी मंच के समक्ष शिकायतें रखने का अधिकार है। ट्रायल कोर्ट ने अकबर द्वारा दायर शिकायत को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि रमानी के खिलाफ कोई आरोप साबित नहीं हुआ है। अदालत ने कहा था कि यह शर्मनाक है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध ऐसे देश में हो रहे हैं जहां महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्यों के बारे में लिखा गया था। कांच की छत भारतीय महिलाओं को समान अवसरों के समाज में उन्नति के मार्ग के रूप में नहीं रोकेगी, यह कहा था। रमणी ने 2018 में #MeToo आंदोलन के मद्देनजर अकबर के खिलाफ यौन दुराचार का आरोप लगाया था। अकबर ने दशकों पहले यौन उत्पीड़न का आरोप लगाकर 15 अक्टूबर, 2018 को रमानी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने 17 अक्टूबर, 2018 को एक केंद्रीय मंत्री के रूप में इस्तीफा दे दिया। उन्होंने उनके खिलाफ #MeToo अभियान के दौरान आगे आने वाली महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न के सभी आरोपों से इनकार किया। ।
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