पर प्रकाश डाला गया
- बुशरा ने एक वीडियो संदेश जारी कर प्लॉट आरोप लगाया।
- इमरान भी कह चुके हैं बाहरी सेनाओं ने चीनी सत्ता।
- पूर्व सेना अध्यक्ष जनरल कमर बाजवा ने दी सफाई।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक इमरान खान साल 2018 से 2022 तक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे थे। इसके बाद उन्होंने लगातार कई बार कहा कि बाहरी और आंतरिक सेनाओं के लिए उन्हें पैड से निकालने की साजिश रची गई थी।
अब उनकी पत्नी बुशरा बीबी ने एक ऐसा दावा किया है, जिससे पाकिस्तान की नागरिकता छीन ली गई है। बुशरा ने गुरुवार को एक वीडियो संदेश जारी किया। इसमें उन्होंने आरोप लगाया कि सऊदी अरब ने सऊदी अरब से सत्ता छीनकर बड़ी साजिश रची थी।
उन्होंने कहा कि इमरान खान ने मदीना में निशान पैर यात्रा की थी। इसके बाद सऊदी अरब के अधिकारियों ने पाकिस्तान के पूर्व सेना अध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा को फोन कर खान के नेतृत्व को लेकर सवाल उठाए थे।
सऊदी अरब पर लगाया बड़ा आरोप
सऊदी अधिकारियों ने बाजवा से कहा था कि ऐसे नेता क्यों बने, जो शरिया कानून की वापसी का प्रतीक हो। हालाँकि, बुशरा बीबी का यह दावा सऊदी अरब की ओर से सीधे तौर पर कोई सफाई नहीं है। मगर, बाजवा ने इस पर प्रतिक्रिया जरूर दी है।
पूर्व सेना अध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा ने बुशरा के आरोप को खारिज कर दिया है। पाकिस्तान के संबद्ध समाचारों के विस्तृत साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि सभी आरोप निराधार हैं। इमरान के दौरे के दौरान सऊदी अरब से कोई कॉल नहीं आया था।
24 नवंबर को होने वाले थे प्रदर्शन में शामिल लोग
बुशरा ने इमरान खान की महिमा में कसीदे गढ़ते हुए कहा कि पाकिस्तान के राजनीतिक माहौल में वह समुद्र तट पर खिले कमल के फूल की तरह हैं। देश की स्वतंत्रता और न्याय के लिए लड़ाई की वजह से ही इमरान खान भटक गए हैं।
वे पार्टी के सभी कलाकारों के जोश से 24 नवंबर को होने वाले विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की मांग कर रहे हैं। टीचर इंजीनियर बुशरा के सामने ये आरोप ऐसे समय में आया है, जब पाकिस्तान में डायनामिक राजनीतिक उथल-पुथल हुई थी।
विचारधारा की कानूनी लड़ाई में डूबे इमरान खान पर सत्ता की तरफ से दबाव बढ़ता जा रहा है। ऐसे में बुशरा के ऑफर से पीआईपीएल और फिल्म सरकार के बीच पहले से ही चल रहे हैं डॉक्यूमेंट्री रिलेशनशिप और भी गहरे हो सकते हैं। ऐसे में देखें कि 24 नवंबर को होने वाले विरोध प्रदर्शन में इस राजनीतिक पत्र का क्या असर होगा।
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