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गुजराती काश पटेल को बड़ी जिम्मेदारी देते जा रहे हैं गधे, अमेरिकी खुफिया तंत्र में माची दोस्त

न्यूयॉर्क में सऊदी काश का परिवार मूल रूप से गुजरात का रहने वाला है।

पर प्रकाश डाला गया

  1. मूल रूप से गुजरात के वडोदरा का रहने वाला है काश पटेल का परिवार।
  2. अमेरिकी खुफिया समुदाय के बारे में कट्टरपंथी विचार हैं काश पटेल।
  3. उनकी किताब ‘अकील’ ने लक्ष्मी को ‘सच करने वाला रोडमैप’ बताया।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव के बाद डोनाल्ड खैल एक के बाद एक फाइटर्स वाले जज कर रहे हैं। इसी कड़ी में वह भारतीय मूल के गुजराती काश पटेल को बड़ी जिम्मेदारी दे रहे हैं, जिससे अमेरिकी खुफिया विभाग में हलचल बढ़ गई है।

अपने इस इलाक़े में स्टाल टॉप टाइटल पर अपने वफादार लोगों का स्थान दे रहे हैं। इसकी वजह यह है कि वह इस बार अपने सहयोगियों के दबाव में नहीं आईं, क्योंकि पहले सत्र के दौरान कई मामलों को देखा गया था।

देखिए, इस बार उन्होंने गुजराती मूल केश पटेल (kash patel) को बड़ी जिम्मेदारी देने के लिए चुना है। बताया जा रहा है कि काश पटेल को एफबीआई में टॉप पोस्ट किया जा सकता है। हालाँकि, इससे पहले अन्य सीआईए प्रमुख बनाने की चर्चा चल रही थी। मगर, उस पद पर रियल ने अपने करीबी सहयोगी जॉन रैटक्लिफ़ का नाम रखा।

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पटेल के आने से मछली मित्र क्यों?

काश पटेल के एफबीआई में आने की चर्चा से ही अमेरिका के खुफिया समुदाय में डकैती हुई है। असल में, वह अमेरिका के खुफिया समुदाय के बारे में कट्टरपंथी विचार रखते हैं। इसके बारे में उन्होंने ‘अवेन्टमेंट नैचुरल: द डीप स्टेट, द ट्रुथ एंड द बैटल फॉर डायरेक्टर डेमोक्रेसी’ नाम से एक किताब लिखी है।

आख़िरकार कहा जाता है कि पटेल की किताब उनके अगले कथन का खाका होगी। यह हर फ्रेम को कवर करने वाला एक शानदार रोडमैप है। हम व्हाइट हाउस की सेनाओं को वापस लाने और सभी सरकार को स्वतंत्र बनाने में मदद करने के लिए इस ब्लूप्रिंट का उपयोग करेंगे।

ये है काश पटेल की प्रोफाइल

  • 44 साल के कश पटेल का पूरा नाम कश्यप शमीम पटेल है।
  • न्यूयॉर्क में सऊदी काश का परिवार वडोदरा का रहने वाला है।
  • काश पटेल ने इतिहास की शुरुआत अविश्वास से की।
  • फिर वो अंतिम प्रशासन में शामिल हुए और उनके वफादार बने।
  • माता-पिता युगांडा में रहते थे, वो पूर्वी अफ्रीका से अमेरिका गए थे।
  • काश ने रिचमंड विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की।
  • न्यूयॉर्क में आने के बाद उन्होंने वकालत की डिग्री हासिल की।

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एलन मस्क को दी बड़ी जिम्मेदारी

डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन में ही उन्होंने उद्योगपति एलन मस्क को डिपार्टमेंट ऑफ फिशिएंसी का नेतृत्व सौंपा है। इस काम में उनके साथ भारतीय मूल के अमेरिकी पुरातात्विक विवेक रामास्वामी होंगे। यह सरकारी विभाग स्कूल को बढ़ावा देने का काम चाहता है।

उनके सरकारी कर्मचारियों को समाप्त करना, गैर सरकारी संस्थानों को विस्थापित करना, वैकल्पिक व्यय में कटौती करना और संघीय शैक्षणिक का पुनर्गठन करना। अमेरिका के इतिहास में यह बड़ा क्रांतिकारी कदम होगा। रियल ने एलन मस्क को सरकारी खर्चे कम करने और देश को मुनाफ़ा में ले जाने वाली फिल्म बनाने का बड़ा समर्थन दिया है।