
असम विधानसभा के डिप्टी स्पीकर और भाजपा के वरिष्ठ नेता नमल मोमिन ने दिवंगत गायक जुबिन गर्ग की स्मृति को समाज सेवा के माध्यम से जीवित रखने का एक नेक प्रस्ताव रखा है। उन्होंने गुरुवार को जुबिन गर्ग मेमोरियल ट्रस्ट की स्थापना का सुझाव दिया, जिसमें दान राशि का उपयोग गरीबों, विधवाओं, अनाथों, वंचित समुदायों और जरूरतमंद छात्रों की सहायता के लिए किया जाएगा। मोमिन का मानना है कि इस तरह का ट्रस्ट न केवल दिवंगत गायक की विरासत को बनाए रखेगा, बल्कि समाज के सबसे कमजोर वर्गों को ठोस सहायता भी प्रदान करेगा।
डिप्टी स्पीकर ने कहा, “मेरा व्यक्तिगत सुझाव है कि हमें जुबिन गर्ग मेमोरियल ट्रस्ट बनाना चाहिए। इस ट्रस्ट में आने वाले दान का उपयोग गरीबों, अनाथालयों, विधवाओं, और वृद्धाश्रमों सहित सभी उपेक्षित और हाशिए पर पड़े व्यक्तियों की मदद के लिए किया जाना चाहिए।” उन्होंने जोर देकर कहा कि इस तरह का कदम सीधे जरूरतमंदों को लाभान्वित करेगा और जुबिन की याद को उनकी करुणा के कार्यों से अमर बना देगा। मोमिन ने विशेष रूप से छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करने और विधवाओं को आवश्यक सहायता देने की वकालत की, जिससे वे गरिमापूर्ण जीवन जी सकें। उनका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि यह ट्रस्ट सभी के लिए खुला हो और किसी भी प्रकार के हेरफेर से मुक्त रहे। उन्होंने आशा व्यक्त की कि असम के सभी 3 करोड़ 40 लाख लोग इस ट्रस्ट का हिस्सा बनेंगे।
जुबिन गर्ग का 19 सितंबर को सिंगापुर में निधन हो गया था, जो पूर्वोत्तर भारत महोत्सव में एक प्रदर्शन से ठीक एक दिन पहले था। मोमिन ने गायक के असामयिक निधन को असम और पूरे भारत के संगीत प्रेमियों के लिए एक अपूरणीय क्षति बताया। उन्होंने कहा कि जुबिन गर्ग की मधुर आवाज को हर कोई पसंद करता था और उन्होंने असमिया, हिंदी, बंगाली और अन्य भाषाओं में लगभग 40,000 गाने गाए थे।
असम के डिप्टी स्पीकर ने यह भी आश्वासन दिया कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा इस मामले को अत्यंत गंभीरता से ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक विशेष जांच दल (एसआईटी) और एक उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है, जो इस मामले की निष्पक्ष जांच कर रही है। मोमिन ने कहा कि जांच सही दिशा में आगे बढ़ रही है और कुछ गिरफ्तारियां भी हुई हैं। यदि आवश्यक हुआ, तो मामले को सीबीआई को सौंपने का भी आश्वासन दिया गया है, ताकि दिवंगत गायक को न्याय मिल सके और मृत्यु के मूल कारणों का पता चल सके। इस जांच समिति को समय देने और धैर्य रखने की आवश्यकता है, ताकि उचित परिणाम सामने आ सकें।






