
उच्चतम न्यायालय ने माओवादी कमांडर नम्बाला केशव राव उर्फ बसवराजू के परिजनों की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें अंतिम संस्कार के लिए उसका शव सौंपने का अनुरोध किया गया था। बसवराजू की मई में छत्तीसगढ़ में मुठभेड़ में मौत हो गई थी। आंध्र प्रदेश के रहने वाले राव 26 अन्य लोगों के साथ छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में सुरक्षा बलों के साथ भीषण मुठभेड़ में मारे गए थे। बसवराजू नक्सल आंदोलन का शीर्ष नेता और वैचारिक आधारस्तंभ माना जाता था। मुठभेड़ में मारे गए बसवराजू और सात अन्य कार्यकर्ताओं का अंतिम संस्कार अधिकारियों ने 26 मई को नारायणपुर में किया था। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ राव के दो परिजनों द्वारा आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के 29 मई के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। बसवराजू की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि छत्तीसगढ़ के लोगों के शव उनके रिश्तेदारों को सौंप दिए गए, जबकि बसवराजू के रिश्तेदार आंध्र प्रदेश से हैं और उन्हें शव नहीं सौंपा गया। वकील ने कहा कि आज तक, मृतक की अस्थियां भी नहीं सौंपी गई हैं। पीठ ने कहा कि यह एक ऐसा मुद्दा है जिसका निर्णय उचित कार्यवाही में किया जाना चाहिए, न कि इस अवमानना मामले में। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि यह अवमानना याचिका आपकी कोई मदद नहीं करेगी। अन्य उपाय अपनाएं। पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा अवमानना कार्यवाही बंद करना सही था। बसवराजू के सिर पर छत्तीसगढ़ में एक करोड़ रुपये का इनाम था।





