
भारत ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत राफेल लड़ाकू विमानों के स्वदेशीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ा है। फ्रांसीसी एयरोस्पेस और रक्षा कंपनी थेल्स (Thales) ने राफेल के एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे (AESA) रडार सिस्टम के एक महत्वपूर्ण हिस्से के निर्माण के लिए भारतीय फर्म एसएफओ टेक्नोलॉजीज (SFO Technologies) को एक बड़ा कॉन्ट्रैक्ट दिया है।
यह कंपोनेंट, जो रडार के प्रदर्शन के लिए अत्यंत आवश्यक है, अब भारत में ही निर्मित होगा। यह उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकी में भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ाने के एक बड़े प्रयास की शुरुआत का प्रतीक है। सोमवार, 15 दिसंबर को, थेल्स ने घोषणा की कि यह तकनीकी रूप से जटिल वायर्ड स्ट्रक्चर, जो RBE2 AESA रडार का एक हिस्सा है, अब भारत में बनाया जाएगा। इस प्रतिष्ठित कॉन्ट्रैक्ट को एसएफओ टेक्नोलॉजीज को सौंपा गया है।
एसएफओ टेक्नोलॉजीज के भारत में कोच्चि, तिरुवनंतपुरम, बेंगलुरु और मैसूरु में अत्याधुनिक उत्पादन सुविधाएं हैं, साथ ही अमेरिका में भी एक साइट है। थेल्स के अनुसार, “ये कंपोनेंट्स चुनौतीपूर्ण पर्यावरणीय परिस्थितियों का सामना करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं और RBE2 AESA रडार का एक अनिवार्य हिस्सा हैं, जो राफेल लड़ाकू विमानों के कोर मिशन सिस्टम का हिस्सा है।”
यह महत्वपूर्ण विकास भारतीय नौसेना द्वारा 26 राफेल विमानों के हालिया ऑर्डर के तुरंत बाद आया है। थेल्स ने कहा, “यह कदम भारतीय नौसेना द्वारा हाल ही में 26 राफेल विमानों का ऑर्डर देने के बाद उठाया गया है। डसॉल्ट एविएशन (Dassault Aviation) के राफेल औद्योगिक टीम के भागीदार के रूप में, थेल्स एक स्थानीय रोडमैप पर काम कर रहा है जिसमें एयरोनॉटिक्स और रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में भारतीय कंपनियों के साथ घनिष्ठ सहयोग शामिल है।”
राफेल जेट में इस्तेमाल होने वाला RBE2 AESA रडार एक अत्यधिक परिष्कृत प्रणाली है जो अविश्वसनीय गति से लक्ष्यों को ट्रैक करने में सक्षम है। यह युद्ध अभियानों को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है। इस रडार के लिए आवश्यक जटिल वायर्ड स्ट्रक्चर का निर्माण एसएफओ टेक्नोलॉजीज की भारतीय सुविधा में किया जाएगा। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह भारत की रक्षा क्षेत्र में तकनीकी क्षमताओं के लिए एक बड़ा मील का पत्थर है और देश की आत्मनिर्भरता को काफी बढ़ाएगा।






