मालेगांव ब्लास्ट केस और 7/11 मुंबई लोकल ट्रेन सीरियल ब्लास्ट मामलों में हाल ही में कोर्ट के फैसले सामने आए हैं। कोर्ट ने इन दोनों ही मामलों में सबूतों की कमी के कारण आरोपियों को बरी कर दिया है। हालांकि, सीरियल ब्लास्ट मामले में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जबकि मालेगांव मामले में सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। इसी वजह से अब सरकार पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लग रहा है।
महाराष्ट्र सरकार के विधि एवं न्याय विभाग से मिली आरटीआई जानकारी में एक बड़ा खुलासा हुआ है। 2008 मालेगांव बम धमाके के मामले में पूर्व बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, कर्नल पुरोहित समेत 7 आरोपियों को बरी किए जाने के खिलाफ सरकार हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में कोई अपील नहीं करेगी। इस धमाके में 6 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 100 लोग घायल हुए थे।
दूसरी ओर, 7/11 मुंबई लोकल ट्रेन सीरियल ब्लास्ट मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा दोषमुक्त किए गए आरोपियों के खिलाफ राज्य सरकार ने 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की, जिस पर 24 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। बता दें कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई में हुए 7/11 2006 मुंबई सीरियल ब्लास्ट मामले में सभी आरोपियों को सबूतों के अभाव के कारण बरी कर दिया था। इस घटना में 100 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी जबकि 800 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
विपक्ष दोनों मामलों में सरकार के अलग-अलग रुख को लेकर हमलावर है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार बम धमाकों जैसे गंभीर मामलों में ‘दोहरे मापदंड’ अपना रही है और न्याय की प्रक्रिया को प्रभावित कर रही है। इस पर राजनीतिक घमासान तेज होने की संभावना है, क्योंकि सरकार ने मालेगांव ब्लास्ट केस में अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। दूसरी ओर, सीरियल ब्लास्ट मामले में सरकार ने तुरंत सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही थी।