
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि प्यार अपराध नहीं है और इसे अपराध नहीं बनाया जा सकता। अदालत ने नाबालिगों के आपसी संबंधों में POCSO कानून के गलत इस्तेमाल को लेकर चिंता जताई है। जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और आर. महादेवन की बेंच ने कहा कि युवा लड़के-लड़की, भले ही उनकी उम्र बालिग होने से थोड़ी कम हो, यदि वे सचमुच के रिश्ते में हैं तो उन्हें अकेला छोड़ देना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि POCSO कानून बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए है, लेकिन इसमें अंतर करना जरूरी है – एक तरफ शोषण और अपराधात्मक व्यवहार है और दूसरी तरफ किशोरों के बीच बने सच्चे रोमांटिक रिश्ते हैं। बेंच ने कहा कि POCSO कानून का अक्सर माता-पिता गलत इस्तेमाल करते हैं, खासकर जब बेटियां घर से भागकर शादी या रिश्ते बना लेती हैं। कोर्ट ने कहा कि हमें समाज की हकीकत को ध्यान में रखना होगा और हर मामले को केस-टू-केस आधार पर देखना होगा।






