रामगढ़। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय शिबू सोरेन का अंतिम संस्कार मंगलवार को पूरे रीति-रिवाज के साथ किया गया। रामगढ़ जिले के गोला प्रखंड के अंतर्गत उनके पैतृक गांव नेमरा में उनका अंतिम संस्कार हुआ। इस अवसर पर, उनके चाहने वालों की भारी भीड़ उमड़ी।
शिबू सोरेन, जिन्हें गुरुजी के नाम से जाना जाता था, के अंतिम संस्कार की खबर मिलने पर लोग मंगलवार सुबह से ही नेमरा पहुंचने लगे थे। गांव से लगभग सात किलोमीटर पहले लुकैयाटांड़ में ही जिला प्रशासन ने बैरीकेडिंग कर दी थी। वीआईपी लोगों के लिए हेलीपैड और गाड़ियों की व्यवस्था की गई थी। सात किलोमीटर तक का रास्ता वीआईपी जिला प्रशासन द्वारा बनाए गए रूट के अनुसार ही तय किया जा रहा था। लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और शिबू सोरेन के समर्थकों ने सात किलोमीटर की लंबी दूरी पैदल तय करने का फैसला किया।
आम लोग लुकैयाटांड़ से पैदल चलकर नेमरा पहुंचे। वहां भी रास्ते पर चलने की जगह नहीं थी। जिला प्रशासन द्वारा श्मशान घाट तक जाने के लिए जिस रास्ते की मरम्मत की गई थी, वह भी कीचड़ से भरा था। धान के खेत और कीचड़ में पटरी रखकर शव ले जाने की व्यवस्था की गई थी। जब आम लोगों को वहां रास्ता नहीं मिला, तो वे खेतों की पगडंडियों पर उतर आए। श्मशान घाट के चारों तरफ अलग-अलग पगडंडियों से होते हुए शिबू सोरेन के समर्थक वहां पहुंचे। सबसे बड़ी बात यह थी कि जब बारिश शुरू हुई, तो कुछ लोग वहां बने टेंट में छिपने लगे, लेकिन शिबू सोरेन के समर्थकों ने इस परिस्थिति में भी खुद को संभाले रखा। लगभग आधे घंटे तक होने वाली बारिश में वे खड़े रहे और अंततः अपने नेता को श्रद्धांजलि अर्पित करके ही वापस लौटे।