
भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस बात पर जोर दिया है कि असली सफलता किसी ऊंचे पद पर पहुंचना नहीं, बल्कि लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना है। उन्होंने कहा कि जब कोई व्यक्ति समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचकर उसके जीवन को बेहतर बनाने में योगदान देता है, तभी वह सच्ची सफलता प्राप्त करता है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में सेवा भाव के महत्व को रेखांकित किया। उनका मानना है कि किसी भी कार्य में सेवा की भावना सर्वोपरि होनी चाहिए। जब हम दूसरों की सेवा करते हैं और उनके जीवन में सुधार लाते हैं, तो यह सबसे बड़ी उपलब्धि होती है। यह पद या प्रतिष्ठा से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।
उन्होंने युवा पीढ़ी को प्रेरित करते हुए कहा कि उन्हें केवल करियर और व्यक्तिगत उन्नति पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए, बल्कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को भी समझना चाहिए। समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए सक्रिय भूमिका निभाना हर नागरिक का कर्तव्य है।
राष्ट्रपति ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे आम लोग भी छोटे-छोटे प्रयासों से बड़े बदलाव ला सकते हैं। उदाहरण के लिए, शिक्षा, स्वास्थ्य या पर्यावरण के क्षेत्र में किए गए नेक काम न केवल व्यक्तियों को संतुष्टि देते हैं, बल्कि पूरे समुदाय को लाभ पहुंचाते हैं।
अंत में, राष्ट्रपति मुर्मू ने सभी से आह्वान किया कि वे सफलता को एक व्यापक दृष्टिकोण से देखें, जहां दूसरों की मदद करना और समाज को बेहतर बनाना ही अंतिम लक्ष्य हो। पद तो आते-जाते रहते हैं, लेकिन किए गए अच्छे काम हमेशा याद रखे जाते हैं और समाज पर स्थायी प्रभाव छोड़ते हैं।






