
रांची में हाल ही में एक सीसीटीवी फुटेज सामने आया है, जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। कुछ समाचार चैनलों द्वारा प्रसारित इस फुटेज में कांग्रेस नेता और बाबूलाल मरांडी को विधानसभा परिसर में बातचीत करते हुए दिखाया गया है। यह घटना 10 दिसंबर 2025 की सुबह लगभग 11 बजे की बताई जा रही है, जब विधानसभा परिसर में विधायक, मीडियाकर्मी और प्रशासनिक अधिकारी आम तौर पर मौजूद रहते हैं। यह फुटेज विधानसभा के उसी गेट के सामने का है जहाँ से अधिकांश विधायक आते-जाते हैं।
इस सीसीटीवी फुटेज के आधार पर कुछ मीडिया संस्थानों द्वारा एक “पेनड्राइव नैरेटिव” गढ़ने का प्रयास किया जा रहा है, जिसे कांग्रेस नेता ने सिरे से खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि यह झूठा और भ्रामक प्रचार है, जिसका उद्देश्य उनकी छवि को धूमिल करना है। उन्होंने इस बात पर गहरी पीड़ा व्यक्त की कि उनका पक्ष जाने बिना ही एकतरफा आरोप लगाए जा रहे हैं। तथ्यों को तोड़-मरोड़कर और अधूरी जानकारी के आधार पर खबरें चलाना न्यायोचित नहीं है।
कांग्रेस नेता ने स्पष्ट किया कि सीसीटीवी फुटेज में वे बाबूलाल मरांडी को कोई पेनड्राइव सौंपते हुए नहीं दिख रहे हैं। यह दावा पूरी तरह से असत्य और निराधार है। उन्होंने बताया कि फुटेज में उनकी बातचीत विधानसभा में प्रकाशित एक खबर को लेकर हो रही थी। वह इस विषय को स्वयं सदन में उठाने वाले थे, लेकिन मरांडी जी ने उसे पहले ही उठा दिया था। बाहर निकलने पर उसी गेट पर संयोगवश उनसे उसी खबर को लेकर चर्चा हुई। किसी भी प्रकार की वस्तु सौंपने-लेने की बात बिल्कुल गलत है।
यह स्थान विधानसभा का एक सार्वजनिक गलियारा है, जहाँ विधायक, मीडिया, पुलिस और कर्मचारी हर समय मौजूद रहते हैं, और चारों ओर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। उनके एक हाथ में मोबाइल और अखबार था, तथा दूसरे में रुमाल। यह पूरी बातचीत दिन के उजाले में, एक सार्वजनिक खबर के संदर्भ में ही हो रही थी। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि उनकी कोई अनुचित मंशा होती, तो क्या वे इतनी सार्वजनिक जगह पर, इतने लोगों की मौजूदगी और सीसीटीवी की निगरानी में ऐसा कृत्य करते जिसकी फुटेज अगले ही दिन सामने आ जाए?
उन्होंने जनता से आग्रह किया कि वे वीडियो को ध्यान से देखें और स्वयं तय करें कि वहां कोई लेन-देन हो रहा है या केवल एक सार्वजनिक विषय पर चर्चा। यह पूरा प्रकरण एक सुनियोजित षड्यंत्र की ओर इशारा करता है। कांग्रेस नेता ने बताया कि कांग्रेस में शामिल होने के बाद से एक विशेष लॉबी उन्हें रोकने और बदनाम करने का प्रयास कर रही है। इसी लॉबी ने पहले भी कांग्रेस विधायकों को तोड़ने और मर्जर को रोकने की कोशिश की थी। उन्होंने दृढ़ता से कहा कि वे जनता के हित से जुड़े सवाल उठाना जारी रखेंगे और जब तक जीवित रहेंगे, जनता की आवाज बनकर मजबूती से खड़े रहेंगे।






