
रांची: महामानव, भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की 69वीं पुण्यतिथि के अवसर पर रांची के डोरंडा स्थित अंबेडकर चौक पर एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस सभा में सामाजिक न्याय और समानता के सिद्धांतों को मजबूत करने का संकल्प लिया गया। डॉ. अंबेडकर को केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों के एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में याद किया गया।
आदिवासी-मूलवासी जनाधिकार मंच द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में, बाबा साहेब की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनके सपनों को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ने का संकल्प लिया गया। मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष विजय शंकर नायक ने कहा कि झारखंड जैसे राज्यों में आज भी आदिवासी, दलित, पिछड़े और कमजोर वर्ग जैसे हाशिये पर खड़े समाजों को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।
उन्होंने सरकार और प्रशासन से आग्रह किया कि वे डॉ. अंबेडकर के सिद्धांतों का पालन करते हुए शिक्षा, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा को एक अधिकार के रूप में लागू करें। साथ ही, भूमि, वन और जल-जंगल-जमीन पर आदिवासियों के अधिकारों को सख्ती से लागू करने और जातीय भेदभाव की हर घटना पर त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने की मांग की। नायक ने इस बात पर जोर दिया कि बाबा साहेब का सपना तभी पूरा होगा जब समाज के सबसे अंतिम व्यक्ति तक अधिकार, सम्मान और अवसर पहुंचेगा।
उन्होंने कहा कि बाबा साहेब ने न केवल संविधान लिखा, बल्कि करोड़ों वंचितों और शोषितों को आत्म-सम्मान और अधिकारों की ज्योति प्रदान की। उनकी विचारधारा आज भी हमें समता, स्वतंत्रता और बंधुता का पाठ पढ़ाती है। इस महान विचारधारा को आगे बढ़ाने और उनके सपनों का भारत बनाने के लिए एकजुट होकर संघर्ष करने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम में प्रोफेसर कृष्ण कांत रवि, शिव शंकर दास, अशोक कुमार रजक, दीपक पासवान, विनय कुमार दुबे, मंटू राम, अजय नाग, भूषण राम, मनु तिर्की, कृष्णा राम, रविंद्र यादव, प्रहलाद राम, करीमन रजक और बड़ी संख्या में स्थानीय लोग, युवा, सामाजिक कार्यकर्ता और मंच के पदाधिकारी शामिल हुए। सभी ने दो मिनट का मौन रखकर महामानव को श्रद्धांजलि दी और संविधान की रक्षा तथा सामाजिक न्याय के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
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