
झारखंड, जिसे ‘जलप्रपातों की भूमि’ भी कहा जाता है, घने जंगलों और पहाड़ी पठारों के बीच छिपे कई मनमोहक झरनों का घर है। ये झरने न केवल राज्य की सुंदरता को बढ़ाते हैं बल्कि इसकी अनूठी भौगोलिक संरचना का भी प्रमाण हैं। मानसून के दौरान, ये जलप्रपात अपने पूरे उफान पर होते हैं, जो देश-विदेश के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
रांची जिले में स्थित हुंडरू जलप्रपात, झारखंड का सबसे ऊंचा और सबसे प्रसिद्ध झरना है। स्वर्णरेखा नदी पर बना यह झरना मानसून में अपने विशाल रूप के लिए जाना जाता है, जबकि गर्मियों में चट्टानों के बीच से बहती छोटी जलधाराएं एक शांत दृश्य प्रस्तुत करती हैं। इसकी चौड़ाई और प्राकृतिक सुंदरता इसे एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण बनाती है।
जमशेदपुर मार्ग पर कांची नदी पर बना दशम जलप्रपात, तीव्र जलधारा और गर्जना के साथ एक रोमांचक अनुभव प्रदान करता है। मानसून में इसका दृश्य बेहद नाटकीय हो जाता है, इसलिए प्रशासन पर्यटकों को सावधानी बरतने की सलाह देता है।
जोन्हा जलप्रपात, जिसे गौतमधारा के नाम से भी जाना जाता है, राढ़ू नदी पर रांची जिले में स्थित है। हरियाली से घिरी ऊंची चट्टानों से गिरता पानी और नीचे जाने वाली सीढ़ियां इसे खास बनाती हैं।
पूर्वी सिंहभूम जिले का हिरणी जलप्रपात, स्वर्णरेखा नदी प्रणाली से जुड़ा है और अपनी चौड़ी जलधारा व शांत वातावरण के लिए लोकप्रिय है। यह स्थानीय लोगों के लिए एक पसंदीदा पिकनिक स्थल भी है।
खूँटी जिले में स्थित पंचघाघ जलप्रपात, पांच अलग-अलग धाराओं में गिरने वाले पानी के कारण प्रसिद्ध है। बनई नदी पर बने इस झरने का बहु-स्तरीय गिरता पानी एक आकर्षक दृश्य प्रस्तुत करता है।
लातेहार जिले का बागी जलप्रपात, अभी भी अपने प्राकृतिक सौंदर्य को बनाए हुए है और कम व्यावसायिक पर्यटन के कारण शांत है। यह एडवेंचर के शौकीनों और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक छिपा हुआ रत्न है।
नेतरहाट क्षेत्र में स्थित लोध जलप्रपात, बूढ़ा नदी पर बना झारखंड का सबसे ऊंचा झरना है। इसकी सीधी ऊंचाई और आसपास का पठारी परिदृश्य इसे एक शानदार अनुभव बनाते हैं।
नेतरहाट, जिसे ‘छोटा नागपुर की रानी’ कहा जाता है, सदनी जलप्रपात जैसे कई अन्य छोटे-बड़े झरनों का भी घर है, जो बारिश के मौसम में विशेष रूप से सुंदर लगते हैं।
ये जलप्रपात न केवल पर्यटन को बढ़ावा देते हैं बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी योगदान करते हैं। मानसून के दौरान, तेज बहाव और फिसलन भरी सतहों के कारण पर्यटकों से स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन करने का आग्रह किया जाता है। झारखंड के ये झरने राज्य की प्राकृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और उचित संरक्षण व सुरक्षित पर्यटन के साथ, ये इको-टूरिज्म के प्रमुख केंद्र बन सकते हैं।






