
रांची: झारखंड में पीडीएमसी (पॉलीमर डिस्ट्रीब्यूशन एंड मार्केटिंग कोऑपरेशन) योजना के तहत किसानों को घटिया उपकरण सप्लाई करने का गंभीर मामला सामने आया है। सीआईपीईटी (सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी) की जांच रिपोर्ट को नजरअंदाज करते हुए, 12 ब्लैकलिस्टेड कंपनियों को फिर से कार्यादेश दिए जाने से हड़कंप मच गया है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के राज्य कार्यकारणी सदस्य और जिला सचिव, अजय सिंह ने इस मुद्दे पर प्रेस वार्ता कर कृषि विभाग में चल रहे कथित भ्रष्टाचार पर प्रकाश डाला।
अजय सिंह ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के राज्य से भ्रष्टाचार मिटाने के दावों पर सवाल उठाते हुए कहा कि विभाग के अधिकारी सरकारी मंशाओं को पलीता लगा रहे हैं। उन्होंने बताया कि 2023 में कृषि विभाग ने किसानों को निम्न-गुणवत्ता वाले उपकरण बेचने के आरोप में कई कंपनियों को भ्रष्टाचार के चलते ब्लैकलिस्ट किया था। सीआईपीईटी की रैंडम जांच में इन कंपनियों के प्लास्टिक उत्पादों को ‘नॉन-स्टैंडर्ड’ करार दिया गया था, जिसके बाद इन पर 5 साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया था और बैंक गारंटी व भुगतान रोक दिए गए थे।
आश्चर्यजनक रूप से, इन कंपनियों को ब्लैकलिस्ट से हटाए जाने के मात्र 8 दिनों के भीतर ही, बिना किसी नई जांच के, उन्हें फिर से कार्य आवंटित कर दिए गए। अजय सिंह के अनुसार, ये कंपनियां आज भी अधिकारियों की मिलीभगत से कृषि विभाग में सक्रिय हैं और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही हैं। उन्होंने विशेष रूप से मोहित इंडिया, मक्क नाउ इंडस्ट्रीज, ग्लोबल ई मैकेनिकल इक्विपमेंट, प्रीमियर इरिगेशन, एड्रिटेक प्राइवेट लिमिटेड, निंबस पाइप्स लिमिटेड, मोहित पॉलीटेक प्राइवेट लिमिटेड, वेदांत पॉलिमर्स प्राइवेट लिमिटेड, रंगट्टा इरिगेशन लिमिटेड, श्री भंडारी प्लास्टिक प्राइवेट लिमिटेड, भारत ड्रॉप इरिगेशन एंड एग्रो, आरएम ड्रिप एंड स्प्रिंकलर सिस्टम लिमिटेड और समय इरिगेशन प्राइवेट लिमिटेड जैसी कंपनियों का नाम लिया, जिनके उत्पाद सीआईपीईटी जांच में फेल पाए गए थे।
सीपीआई नेता ने मांग की है कि विभाग इन कंपनियों के खिलाफ तत्काल जांच करे और उचित कार्रवाई करे। उन्होंने किसानों के साथ खिलवाड़ बंद करने की अपील की और सरकार को बदनाम करने वाले अधिकारियों तथा धोखा देने वाली कंपनियों के खिलाफ झारखंड हित में सख्त कदम उठाने का आग्रह किया।






