
हजारीबाग का इचाक प्रखंड, जो कृषि के लिए जाना जाता है, इस बार अपने उत्कृष्ट आलू की फसल के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोर रहा है। यह क्षेत्र लंबे समय से उच्च गुणवत्ता वाले आलू के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। पिछले वर्ष जहां लगभग 200 करोड़ रुपये का आलू व्यापार दर्ज किया गया था, वहीं इस वर्ष मौसम की चुनौतियों के बावजूद किसान 100 करोड़ रुपये से अधिक के व्यापार की उम्मीद लगाए हुए हैं।
आलू एक ऐसी सब्जी है जिसकी मांग साल भर बनी रहती है, क्योंकि यह विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का एक अनिवार्य हिस्सा है। इसी वजह से इसकी खपत में कभी कमी नहीं आती। इचाक के आलू की अपनी एक खास पहचान है, जो इसके स्वाद और गुणवत्ता के कारण पूरे देश में प्रचलित है। इसी खूबी के चलते देश के कोने-कोने से व्यापारी यहां आलू खरीदने आते हैं।
इस वर्ष भी इचाक के खेतों में आलू की फसल तैयार है और किसान कटाई में जुट गए हैं। सुबह से शाम तक मजदूरों की सहायता से आलू निकालने का काम जारी है। अगले दो हफ्तों में बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख राज्यों से बड़ी संख्या में व्यापारी यहां पहुंचने वाले हैं। इचाक प्रखंड में कुल 98 राजस्व गांव हैं, और अनुमान है कि इस बार 5000 एकड़ से अधिक भूमि पर आलू की खेती की गई है। मौसम की प्रतिकूलता के बावजूद, किसानों की कड़ी मेहनत खेतों में स्पष्ट दिखाई दे रही है। कटाई के बाद आलू को बोरों में भरकर घरों और गोदामों तक पहुंचाया जा रहा है।
इचाक में आलू का व्यापार इतना फलता-फूलता है कि यहां दिन भर खरीदारों की चहल-पहल रहती है। कई व्यापारी सीधे खेतों में जाकर खरीद करते हैं, जबकि कुछ फोन पर ही सौदे तय कर लेते हैं। इसी कारण इचाक को ‘आलू का मिनी कटोरा’ भी कहा जाता है, क्योंकि यहां से हर साल बड़े पैमाने पर आलू की आपूर्ति देश भर के बाजारों में की जाती है।
इचाक के आलू का अनूठा स्वाद और बेहतर गुणवत्ता इसे अन्य क्षेत्रों के आलू से अलग बनाती है। खरीदार अक्सर अच्छी कीमत देकर भी इसे प्राथमिकता देते हैं। यही कारण है कि इचाक का आलू पूरे देश में बिकता है और इसकी मांग वर्ष भर बनी रहती है। किसानों को विश्वास है कि जब तक उपभोक्ताओं को इस आलू का स्वाद पसंद आता रहेगा, उनकी मेहनत फलती-फूलती रहेगी।





