बिहार का दक्षिणी इलाका, जिसमें पलामू, हजारीबाग, रांची, जमशेदपुर, चाईबासा, सिंहभूमि, धनबाद जैसे क्षेत्र शामिल थे, कभी बिहार की संपत्ति का स्रोत हुआ करता था। लेकिन राजनीति पर उत्तर बिहार का दबदबा था, जबकि दक्षिण बिहार आदिवासी बहुल था। आदिवासियों को फुसलाना और बहलाना आसान था, लेकिन अपनी भूमि के लिए जान देने वालों की कमी नहीं थी। अंग्रेजों के समय से ही यहां दमन चक्र चला, जिससे लोग इस आदिवासी क्षेत्र को भूल गए।
शिबू सोरेन, जिन्हें गुरुजी या दिशोम गुरु के नाम से भी जाना जाता है, ने अपने समाज की पीड़ा को गहराई से समझा। उनके निरंतर संघर्षों से ही 2000 में झारखंड राज्य का गठन हुआ, जिसमें दक्षिण बिहार, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के कुछ इलाके शामिल थे। गुरुजी ने अलग राज्य के लिए 27 साल तक संघर्ष किया, लेकिन उनकी मुश्किलें कम नहीं हुईं। उन्हें कई बार धोखा दिया गया। वह तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन कभी भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। उनके बेटे हेमंत सोरेन भी मुख्यमंत्री बने, लेकिन उन्हें भी कुछ समय के लिए पद से हटना पड़ा।
शिबू सोरेन के पिता सोबरन मांझी की महाजनों ने हत्या कर दी थी, जिसके बाद शिबू सोरेन ने सामाजिक और आर्थिक अन्याय के खिलाफ संघर्ष शुरू किया। 1973 में उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) का गठन किया और आदिवासी अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। उन्होंने दुमका लोकसभा सीट से आठ बार जीत हासिल की। शिबू सोरेन को घर पर शिक्षा मिली और उन्होंने आदिवासियों की पीड़ा को महसूस किया। उस समय, बाहरी लोग आदिवासी क्षेत्रों में आकर आदिवासियों का शोषण करते थे और उनकी संपदा पर कब्जा करने लगे।
आदिवासी समाज हमेशा से संघर्षशील रहा है। अंग्रेजों के समय बिरसा मुंडा ने सशस्त्र विद्रोह किया था। अंग्रेजों ने उन पर अत्याचार किए, लेकिन उन्हें झुकना पड़ा। बिरसा मुंडा ने आदिवासियों के लिए बिरसाइत धर्म की स्थापना की। महाश्वेता देवी ने अपने उपन्यासों में झारखंड के आदिवासियों की पीड़ा को दर्शाया। उन्होंने अलग आदिवासी राज्य के लिए शिबू सोरेन के संघर्ष में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
शिबू सोरेन को कई संघर्षों का सामना करना पड़ा, उन पर हत्या के आरोप लगे, लेकिन हर बार वह बाहर निकले। चिरुडीह आंदोलन के दौरान हुए नरसंहार में भी उनका नाम आया। वह आदिवासी समाज में लोकप्रिय रहे, लेकिन उन्हें सरकार में नहीं रहने दिया गया। 81 वर्ष की उम्र तक उन्होंने हार नहीं मानी।