झारखंड के दिग्गज नेता और झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी के संस्थापक, शिबू सोरेन का 4 अगस्त को निधन हो गया। उनके निधन के बाद, मंत्री इरफान अंसारी ने दिशोम गुरु के लिए भारत रत्न की मांग की है। श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे झारखंड के मंत्री इरफान अंसारी ने कहा, “मैं राष्ट्रपति से गुरुजी को भारत रत्न देने का आग्रह करता हूं। वह इसके सच्चे हकदार हैं। वह एक क्रांतिकारी थे और गरीबों की आवाज थे। इसलिए, भारत सरकार को तुरंत यह घोषणा करनी चाहिए।”
शिबू सोरेन लंबे समय से बीमार थे और 19 जून से दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती थे। उनकी हालत सुधारने के लिए कई डॉक्टरों ने प्रयास किया, लेकिन 81 वर्ष की आयु में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
सांसद पप्पू यादव ने कहा कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन इंसानियत और मानवता के प्रतीक थे, शोषित और वंचितों की आवाज थे। उन्होंने कहा कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन को “भारत रत्न” मिलना चाहिए और उन्होंने दिवंगत गुरुजी शिबू सोरेन से जुड़ी यादों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्होंने बचपन से उन्हें देखा है और उनके आंदोलनों को देखा है, और वह कभी किसी से नहीं डरे।
दिशोम गुरु के निधन से झारखंड में शोक की लहर दौड़ गई। मंत्री इरफान अंसारी ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा, उनकी कमी कभी पूरी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन उनके बड़े भाई हैं और परिवार में अब वीराना सा लग रहा है।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. अंसारी ने कहा कि शिबू सोरेन सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि एक आंदोलनकारी, एक जननायक और करोड़ों आदिवासियों के अधिकारों की आवाज थे। उनका जीवन जल, जंगल और जमीन की लड़ाई को समर्पित रहा। उन्होंने आदिवासी समाज को संगठित कर उनके हक और हुकूक की रक्षा की और झारखंड राज्य के गठन में निर्णायक भूमिका निभाई।
बाबूलाल मरांडी ने भी शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि दी और कहा कि झारखंड के लिए उनका निधन अपूरणीय क्षति है। उन्होंने शिबू सोरेन को एक समाज सुधारक के रूप में देखा, जिन्होंने महाजनों और शराबबंदी के खिलाफ आंदोलन किया था।
शिबू सोरेन झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रहे और उन्हें दिशोम गुरु की उपाधि दी गई। उन्होंने आदिवासियों के लिए कई साहसी कदम उठाए, उनकी आवाज उठाई और सूदखोरों से मुक्ति दिलाई। उन्होंने झारखंड राज्य के गठन का सपना देखा था, जिसे उन्होंने पूरा किया।