झारखंड में भारी बारिश के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। शहर हो या गांव, लोग बारिश से प्रभावित हैं। सड़कें जलमग्न हैं, और रिहायशी इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति है। 6 अगस्त को वज्रपात से सात लोगों की मौत हो गई, जिसमें पलामू, खूंटी और चाईबासा के लोग शामिल थे।
आकाशीय कहर की पहली घटना पलामू जिले के केकरगढ़ जोलहबीघा गांव में हुई, जहां खेत में धान रोपते समय एक ही परिवार की तीन महिलाओं की मौत हो गई। मृतकों में ओकीदा खातून, रेशमी बीवी और राजवी बीवी शामिल हैं।
चौथा मृतक पलामू जिले के पाटन थाना क्षेत्र के नवाडीह गांव का निरंजन मेहता था, जिसकी खेत में काम करते समय वज्रपात से मौत हो गई। 6 अगस्त को खूंटी जिले के तोरपा प्रखंड के इच्छाओगा टोली गांव के फिलिप आइन्ड और उनके ढाई साल के बेटे अमन आइन्ड की भी वज्रपात से मौत हो गई।
1 मई से 31 जुलाई के बीच, राज्य में अलग-अलग प्राकृतिक आपदाओं के कारण 400 से अधिक लोगों की मौत हुई है। इनमें वज्रपात से लगभग 180, जहरीले सांपों के काटने से 100 और भारी बारिश के कारण डूबने और घरों के गिरने से 100 से अधिक लोगों की मौतें शामिल हैं।