श्री अन्न के नाम से प्रसिद्ध मिलेट्स, छोटे दानों वाले अनाज का एक समूह है, जो अपनी असाधारण पोषण क्षमता और अनुकूलनशीलता के लिए जाना जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को ‘अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष’ घोषित किया था, जिससे खाद्य और पोषण सुरक्षा में इस अनाज के महत्व को मान्यता मिली।
मिलेट्स प्रोटीन, विटामिन और खनिजों से भरपूर होते हैं, और स्वाभाविक रूप से ग्लूटेन मुक्त होते हैं। इनमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी कम होता है, जो उन्हें मधुमेह और सीलिएक रोग से पीड़ित लोगों के लिए उपयुक्त बनाता है।
भारत वर्तमान में दुनिया में मिलेट्स का सबसे बड़ा उत्पादक है, जो वैश्विक अनाज उत्पादन में 38.4 प्रतिशत का योगदान देता है। कम लागत पर उगने और जलवायु परिवर्तनों का सामना करने की क्षमता के कारण मिलेट्स देश के खाद्यान्न भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो किसानों के लिए एक टिकाऊ विकल्प भी प्रदान करता है।
जुलाई 2025 तक, भारत ने 2024-25 में कुल 180.15 लाख टन मिलेट्स उत्पादन का लक्ष्य हासिल किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 4.43 लाख टन अधिक है। यह वृद्धि देश के विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में मिलेट की खेती को बढ़ावा देने के प्रयासों का परिणाम है।
मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने बजटीय और नीतिगत ढांचे को मजबूत किया है, जो उत्पादन, निर्यात और अनुसंधान के सभी क्षेत्रों में सहायता प्रदान करता है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं पोषण मिशन मिलेट उत्पादन में सहायता करता है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत पोषक अनाजों पर एक उप-मिशन चला रहा है, जिसमें ज्वार, बाजरा, रागी-मंडुआ के साथ-साथ छोटे मिलेट्स जैसे कुटकी, कोदो, सावा-झंगोरा, कांगनी-काकुन शामिल हैं। यह पहल देश के 28 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में लागू है।
राज्य प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना और पोषक-अनाज उप-मिशन का उपयोग करके बाजरा उत्पादन में सुधार कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों का औपचारिकीकरण योजना (पीएम-एफएमई) बाजरा-आधारित उत्पादों से संबंधित सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को लक्षित सहायता प्रदान करती है। इस योजना को वर्ष 2025-26 के लिए 2,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
सरकार ने मिलेट आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएं भी शुरू कीं, जिसका उद्देश्य ब्रांडेड रेडी-टू-ईट (आरटीई) और रेडी-टू-कुक (आरटीसी) उत्पादों में बाजरे के उपयोग को बढ़ावा देना था। सरकार इस योजना के माध्यम से घरेलू और निर्यात दोनों बाजारों के लिए बाजरा आधारित खाद्य पदार्थों के निर्माण को समर्थन देकर उनके मूल्यवर्धन को प्रोत्साहित करना चाहती है और अनाज की उत्पादन मांग को बढ़ाकर मिलेट उत्पादकों को खाद्य प्रसंस्करणकर्ताओं से जोड़ना चाहती थी। भारत ने 2024-25 में कुल 180.15 लाख टन मिलेट का उत्पादन किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 4.43 लाख टन की वृद्धि थी। राजस्थान मिलेट्स उत्पादन में शीर्ष पर है।