
भारतीय वायु सेना को अगले महीने, अक्टूबर 2025 में दो तेजस-मार्क 1A लड़ाकू विमान मिलने वाले हैं। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के सूत्रों ने बताया कि विमानों की डिलीवरी की तैयारी पूरी हो चुकी है, हालाँकि यह डिलीवरी लगभग दो साल की देरी से हो रही है। HAL सूत्रों के अनुसार, डिलीवरी से पहले सितंबर माह में तेजस Mk-1a के कई फायरिंग टेस्ट किए जाएंगे, जिनमें अस्त्र बियॉन्ड विजुअल रेंज मिसाइल, ASRAM शॉर्ट रेंज मिसाइल और लेजर गाइडेड बम की फायरिंग टेस्टिंग शामिल हैं। इन परीक्षणों की सफलता के बाद ही तेजस-मार्क 1A भारतीय वायुसेना को सौंपे जाएंगे। पहले किए गए परीक्षणों में एक बार सफलता और एक बार असफलता मिली थी, जिसके बाद सॉफ्टवेयर में जरूरी बदलाव किए गए। तेजस-मार्क 1A के लिए अमेरिकी कंपनी जीई अगले साल मार्च तक 10 इंजन और दिसंबर 2026 तक 20 और इंजन उपलब्ध कराएगी। इससे आने वाले महीनों में वायुसेना को तेजस की डिलीवरी की गति बढ़ने की संभावना है। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह ने पहले ही कहा है कि फाइटर स्क्वॉड्रन की कमी गंभीर है। वायुसेना के पास 42 स्क्वॉड्रन होनी चाहिए, लेकिन फिलहाल संख्या घटकर 31 पर आ चुकी है। 26 सितंबर को मिग-21 की दो स्क्वॉड्रन रिटायर हो जाएंगी, जिसके बाद यह संख्या 29 रह जाएगी। टू-फ्रंट वॉर (पाकिस्तान और चीन) की स्थिति को देखते हुए 42 स्क्वॉड्रन की जरूरत तय की गई थी। तेजस-मार्क 1A की पहली तैनाती बीकानेर एयरबेस पर होगी। यहां कोबरा स्क्वॉड्रन दोबारा सक्रिय की जाएगी, जिसे अब तक मिग-21 बाइसन संचालित करती रही है। तेजस मिलने के बाद कोबरा स्क्वॉड्रन भारत की आधुनिक ताकत का नया प्रतीक बनेगी।






