उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पुलिस ने साइबर धोखाधड़ी के एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश किया है, जिसमें कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जांच में खुलासा हुआ है कि यह गिरोह युवाओं को उनके बैंक खातों का अवैध लेनदेन के लिए उपयोग करने के लिए प्रेरित करता था। गिरफ्तार किए गए लोगों के बैंक खातों का इस्तेमाल क्रिप्टोकरेंसी और USDT के माध्यम से लेनदेन करने के लिए किया जा रहा था, जिसका उपयोग ऑनलाइन निवेश और फर्जी नौकरियों के नाम पर ठगी के लिए किया जा रहा था।
पुलिस ने पहले 24 वर्षीय एक रेस्टोरेंट वेटर अजय को गिरफ्तार किया था। अजय ने पूछताछ में बताया कि उसे एक क्रिप्टो ट्रेडर ने एक दिन के लेनदेन के लिए अपने बैंक खाते का इस्तेमाल करने के लिए 20 हजार रुपये दिए थे। लालच में आकर अजय ने सहमति दे दी, जिसके बाद उसके खाते में लाखों रुपये आए और उसने ट्रेडर के कहने पर वह पैसा दूसरों को दे दिया। बाद में, अजय सरकारी गवाह बन गया और उसने एक अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी समूह में शामिल होने की बात कबूल की।
अजय से सख्ती से पूछताछ करने पर उसने पूरे गिरोह का खुलासा किया, जिससे पुलिस को साइबर गिरोह को समझने और पकड़ने में मदद मिली। जांच में पता चला कि गिरोह ने दर्जनों लोगों को निशाना बनाया था, खासकर छोटे दुकानदारों और रेस्टोरेंट में काम करने वाले युवाओं को। बैंक खाते के इस्तेमाल के बदले में, उन्हें 10 हजार से 30 हजार रुपये तक दिए जाते थे।
पुलिस के अनुसार, यह गिरोह चीनी संचालकों या उनके प्रॉक्सी के माध्यम से एन्क्रिप्टेड टेलीग्राम चैनलों पर काम करता था। स्थानीय एजेंट खाते की जानकारी और दस्तावेज़ एकत्र करते थे, फिर म्यूल खाताधारकों को नकदी निकालने और क्रिप्टो ब्रोकरों को सौंपने के लिए बैंकों में ले जाया जाता था, जो इसे USDT में बदल देते थे। इस नेटवर्क में Binance ऐप का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया गया।
पिछले दो महीनों में, पुलिस ने ऐसे खातों के जरिए ₹5 लाख से ₹5 करोड़ तक की मनी लॉन्ड्रिंग का पता लगाया है, जिसे USDT में बदलकर विदेश भेजा गया। पुलिस 60 से ज्यादा लोगों से पूछताछ कर रही है और मानती है कि इस गिरोह का दायरा काफी बड़ा है।