
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया था। 7 मई को यह ऑपरेशन शुरू हुआ था। ऑपरेशन शुरू होने के बाद पुणे की एक 19 वर्षीय छात्रा ने ऑपरेशन के खिलाफ सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की थी, जिसे बाद में डिलीट कर दिया गया और माफी भी मांगी गई। छात्रा ने अब केस खत्म करने की अपील की थी, जिस पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है कि सिर्फ पोस्ट डिलीट करने और माफी मांगने के आधार पर केस को खत्म नहीं किया जा सकता। चीफ जस्टिस और जस्टिस की बेंच ने कहा कि केवल एक प्रतिभाशाली छात्रा होने और अच्छे नंबर हासिल करने के आधार पर एफआईआर रद्द नहीं की जा सकती।
छात्रा ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत-पाकिस्तान तनाव को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था, जिसके कारण उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। हालांकि, जमानत मिलने के बाद छात्रा ने परीक्षा दी और अच्छे अंक प्राप्त किए। अदालत ने कहा कि सिर्फ एक प्रतिभाशाली छात्रा होना एफआईआर को रद्द करने का आधार नहीं हो सकता है। छात्रा के वकील ने कहा कि उसका कोई गलत इरादा नहीं था और उसने तुरंत पोस्ट हटा दी और माफी भी मांगी। अदालत ने कहा कि पोस्ट हटाना मामले को और जटिल बनाता है। अब मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी और लोक अभियोजक को केस डायरी पेश करने का निर्देश दिया गया है।
जानकारी के अनुसार, छात्रा ने 7 मई को ‘रिफॉर्मिस्तान’ नामक इंस्टाग्राम अकाउंट से एक पोस्ट साझा की थी, जिसमें भारत सरकार पर पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध भड़काने का आरोप लगाया गया था। दो घंटे के अंदर, छात्रा ने अपनी गलती महसूस की और धमकियों के बाद पोस्ट हटा दी। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ लॉन्च किया, जिसके तहत भारत ने पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया। 10 मई को दोनों देशों के बीच सीजफायर हुआ।






