छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से साइबर ठगी का एक मामला सामने आया है, जहां एक वरिष्ठ प्रोफेसर डिजिटल गिरफ्तारी का शिकार हो गए। रायपुर शासकीय इंजीनियर कॉलेज में पदस्थ प्रोफेसर ने 26 दिनों के भीतर साइबर ठगों को 88 लाख रुपये दे दिए। ठगों ने प्रोफेसर को मानव तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर आरोपों का डर दिखाकर धमकाया, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने अपनी भारी भरकम राशि खो दी। प्रोफेसर ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है और मामले की जांच चल रही है।
पुलिस के अनुसार, साइबर अपराधी अक्सर फर्जी कॉल और वीडियो कॉल के माध्यम से लोगों को डराकर ठगी करते हैं, और यह मामला भी उसी तरह का है। पुलिस ने बताया कि पुरानी बस्ती इलाके के 62 वर्षीय प्रोफेसर संतोष कर्मकार को 20 जून को साइबर ठगों ने फोन और व्हाट्सएप कॉल के जरिए निशाना बनाया। ठगों ने खुद को बेंगलुरु पुलिस का अधिकारी बताकर प्रोफेसर को झांसा दिया कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल गैरकानूनी गतिविधियों में हुआ है। इसके बाद उन्हें डिजिटल अरेस्ट होने का झूठा डर दिखाकर बैंक खातों से 88 लाख रुपये ठग लिए। पुलिस ने पहले भी प्रोफेसर के लेनदेन पर शक जताया था, लेकिन उन्होंने साइबर अपराध की बात को खारिज कर दिया। बाद में जब उन्हें ठगी का एहसास हुआ, तो उन्होंने पुरानी बस्ती पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने भारतीय दंड संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है और ठगों के बैंक खातों और कॉल डिटेल की जांच कर रही है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने साइबर ठगी के बढ़ते मामलों को देखते हुए विशेष साइबर सेल बनाए हैं। यह सेल संदिग्ध खातों को फ्रीज करने और ठगों को पकड़ने के लिए काम कर रहे हैं। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे अनजान कॉल्स पर भरोसा न करें और ऐसे किसी भी मामले की जानकारी मिलने पर तुरंत 1930 पर कॉल कर शिकायत दर्ज कराएं। छत्तीसगढ़ राज्य में पिछले 18 महीनों में 107 करोड़ रुपये से अधिक की साइबर ठगी के मामले सामने आए हैं।