छत्तीसगढ़ सरकार नक्सल प्रभावित दूरदराज के वन क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। राज्य में नक्सल पीड़ितों और आत्मसमर्पित नक्सलियों के पुनर्वास के लिए एक विशेष परियोजना के तहत लगभग तीन हजार आवास बनाए जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्र सरकार से आग्रह करके, उन आत्मसमर्पित नक्सलियों और नक्सल हिंसा से प्रभावित परिवारों के लिए जो प्रधानमंत्री आवास योजना की पात्रता शर्तों को पूरा नहीं कर पा रहे थे, उनके लिए विशेष परियोजना के तहत 15 हजार आवास स्वीकृत करवाए हैं।
इस विशेष परियोजना के तहत, अब तक राज्य में पात्र पाए गए पांच हजार परिवारों में से तीन हजार परिवारों के लिए आवास स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 2111 परिवारों को आवास निर्माण की पहली किस्त और 128 परिवारों को दूसरी किस्त भी जारी की जा चुकी है। सुदूर वनांचलों में रहने वाले इन परिवारों के आवास तेजी से बन रहे हैं। नक्सल हिंसा से प्रभावित सुकमा की सोडी हुंगी और कांकेर की दशरी बाई का विशेष परियोजना के अंतर्गत स्वीकृत पीएम आवास कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद केवल तीन महीनों में बनकर तैयार हो गया। इस साल मार्च में स्वीकृति मिलने के बाद मई में इनके आवासों का निर्माण शुरू हुआ था।
बस्तर में नक्सल हिंसा से प्रभावित और आत्मसमर्पित नक्सलियों के परिवारों में खुशियाँ फिर से दस्तक दे रही हैं। विशेष परियोजना के तहत स्वीकृत उनके पक्के आवास तेजी से बन रहे हैं। दुर्गम और कठिन भौगोलिक क्षेत्रों में होने के बावजूद, इन परिवारों के हौसले और शासन-प्रशासन की मदद से उनके सपनों के आशियाने साकार हो रहे हैं। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद से प्रभावित परिवारों के पुनर्वास की दिशा में यह विशेष परियोजना न केवल एक ठोस कदम है, बल्कि पीड़ितों के पुनर्वास की दिशा में एक मील का पत्थर भी है।
कांकेर जिला मुख्यालय से लगभग 200 किलोमीटर दूर कोयलीबेड़ा विकासखंड के उलिया ग्राम पंचायत में रहने वाली दशरी बाई नुरूटी के पति दोगे नुरूटी की विधानसभा चुनाव के दौरान माओवादी घटना में मृत्यु हो गई थी। पीएम आवास योजना में नक्सल पीड़ित परिवारों के लिए विशेष परियोजना के तहत इस साल मार्च में उनका आवास स्वीकृत किया गया था। मई में उनके आवास का निर्माण शुरू हुआ था और अब मात्र तीन महीनों की अवधि में ही उनका आवास बनकर तैयार हो गया है। दशरी बाई के हौसले की वजह से कठिन परिस्थितियों के बावजूद बहुत कम समय में आवास तैयार हुआ और उनके परिवार को पक्का मकान मिला।
दशरी बाई बताती हैं कि वनांचल और दूरस्थ क्षेत्र होने के कारण आवास निर्माण में कई व्यावहारिक कठिनाइयाँ आईं। विकासखंड मुख्यालय से दूर होने के कारण चार पहिया वाहनों के लिए कोई रास्ता नहीं था, जिससे निर्माण सामग्री लाने में बहुत परेशानी होती थी। बारिश के दौरान दोपहिया वाहनों से भी पहुँचना मुश्किल था, जिसके कारण राजमिस्त्री और मजदूर समय पर नहीं आ पाते थे। अंदरूनी क्षेत्र होने से निर्माण सामग्री भी सामान्य क्षेत्रों की तुलना में महंगी पड़ती थी।
दशरी बाई कहती हैं कि आवास का काम तेजी से पूरा करने में कांकेर जिला प्रशासन, ग्राम पंचायत और प्रधानमंत्री आवास योजना के अधिकारियों का बहुत सहयोग मिला। निर्माण सामग्री पहुँचाने और राजमिस्त्री तथा श्रमिकों की व्यवस्था में ग्राम पंचायत और आवास टीम ने बहुत मदद की। वह कहती हैं कि सरकार ने नक्सल पीड़ितों और आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के पुनर्वास के लिए संवेदनशील और प्रभावी नीति बनाई है। शासन-प्रशासन के लगातार सहयोग से बहुत कम समय में उनका पक्का आवास बन गया।
सुकमा जिले के गादीरास ग्राम पंचायत के आश्रित गाँव ओईरास की श्रीमती सोडी हुंगी ने भी अपना पक्का आवास तीन महीने में बना लिया है। वर्ष 2005 में उनके पति मासा सोडी की नक्सलियों ने मुखबिरी के संदेह में हत्या कर दी थी। उनका परिवार गरीबी में कई वर्षों तक कच्चे घर में रहने को मजबूर था, जहाँ बरसात में टपकती छत और जहरीले कीड़ों से जान का खतरा बना रहता था।
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में विशेष परियोजना के तहत आवास स्वीकृत होने पर सोडी हुंगी को चरणबद्ध तरीके से तीन किश्तों में कुल 1 लाख 35 हजार रुपये मिले। ग्राम पंचायत के तकनीकी मार्गदर्शन और समय-समय पर निगरानी के चलते इस साल जुलाई में उनके आवास का निर्माण पूरा हुआ। अब वह परिवार के साथ अपने नए पक्के घर में रहती हैं।
प्रधानमंत्री आवास योजना में विशेष परियोजना के तहत अब तक लगभग तीन हजार आत्मसमर्पित नक्सलियों और नक्सल प्रभावित परिवारों के लिए आवास स्वीकृत किए गए हैं। इनमें सबसे अधिक 984 परिवार सुकमा जिले के हैं। बीजापुर जिले में 761, नारायणपुर में 376, दंतेवाड़ा में 251, बस्तर में 214, कोंडागांव में 166, कांकेर में 146, गरियाबंद में 27, बलरामपुर-रामानुजगंज में 25 और मानपुर-मोहला-अंबागढ़ चौकी में 23 परिवारों के आवास स्वीकृत किए गए हैं।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विश्वास, विकास और पुनर्वास की रणनीति पर काम कर रही है। आत्मसमर्पित नक्सलियों और नक्सल पीड़ितों को सम्मानजनक जीवन देने के लिए राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत विशेष परियोजना के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध कर 15 हजार आवास स्वीकृत कराए हैं। उन्होंने कहा कि यह परियोजना केवल ईंट और सीमेंट का निर्माण नहीं है, बल्कि नए विश्वास, सुरक्षा और स्थिरता की नींव है। दुर्गम और विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद केवल तीन महीनों में आवास का पूरा होना दर्शाता है कि सरकार और जनता मिलकर असंभव को भी संभव बना सकते हैं। सरकार सभी पात्र परिवारों को पक्का घर देने के लिए प्रतिबद्ध है।
उप मुख्यमंत्री और गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थायी शांति और समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए पुनर्वास, सुरक्षा और सम्मान की नीति पर काम किया जा रहा है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों और हिंसा से पीड़ित परिवारों के लिए विशेष परियोजना के तहत प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से जो पहल की गई है, वह सामाजिक न्याय और मानवीय गरिमा की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने कहा कि सोडी हुंगी और दशरी बाई जैसे उदाहरण साबित करते हैं कि यदि सरकार संवेदनशील हो और प्रशासन सक्रिय हो, तो दूरस्थ वन क्षेत्रों में भी विकास की रोशनी पहुंचाई जा सकती है। सरकार का लक्ष्य है कि हर पीड़ित परिवार को छत और सम्मान दोनों मिले। यह मिशन पूरी प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है।