
छत्तीसगढ़ के कथित शराब घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल का नाम प्रमुखता से सामने आया है। राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB)/आर्थिक अपराध विंग (EOW) ने अपनी सातवीं पूरक चार्जशीट में दावा किया है कि चैतन्य को इस घोटाले से ₹200 करोड़ से ₹250 करोड़ की राशि मिली है। यह घोटाला कथित तौर पर ₹3,000 करोड़ से अधिक का है।
चार्जशीट के अनुसार, चैतन्य बघेल ने अपने पिता के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान आबकारी विभाग में एक रैकेट (सिंडिकेट) की स्थापना, समन्वय और संरक्षण में अहम भूमिका निभाई। डिजिटल साक्ष्यों से यह भी पता चलता है कि उन्होंने अपराध से प्राप्त आय को उच्च स्तर तक पहुंचाने का काम किया और इसके बदले में उन्हें मोटी रकम मिली।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पिछले साल 18 जुलाई को चैतन्य बघेल को गिरफ्तार किया था। ईडी का आरोप है कि इस शराब सिंडिकेट ने राज्य के खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया, जबकि इससे जुड़े लोगों को मालामाल किया। चार्जशीट में ₹3,800 पृष्ठों का विस्तृत विवरण शामिल है, जिसमें चैतन्य बघेल को आरोपी बनाया गया है।
आरोप है कि चैतन्य ने व्यापारी अनवर डेबार की टीम द्वारा रचे गए इस घोटाले से प्राप्त धन को अपने भरोसेमंद नेटवर्क के माध्यम से इधर-उधर किया। यह रकम शराब व्यवसायी त्रिलोक सिंह ढिल्लों के स्वामित्व वाली विभिन्न फर्मों के माध्यम से प्राप्त हुई और बैंकिंग चैनलों से परिवार-संचालित व्यवसायों में भेजी गई, जिसका निवेश रियल एस्टेट में भी किया गया। इस पूरी प्रक्रिया में परिवार, दोस्तों और सहयोगियों की भी मदद ली गई।






