बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य सरकार भूजल स्तर को बनाए रखने के लिए ठोस और दूरगामी कदम उठा रही है। जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत पंचायती राज विभाग द्वारा चलाए जा रहे कुओं के जीर्णोद्धार और सोख्ता निर्माण कार्य ने अब परिणाम दिखाना शुरू कर दिया है। गांव-गांव में जल संचयन की यह पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक उदाहरण प्रस्तुत कर रही है, बल्कि आने वाले वर्षों में जल संकट से निपटने के लिए एक मजबूत नींव भी तैयार कर रही है।
राज्यभर में कुल 25466 कुओं के जीर्णोद्धार का लक्ष्य रखा गया था, जिनमें से 25,254 कुओं का कार्य पूरा हो चुका है। यह 99% से अधिक की एक अद्वितीय उपलब्धि है। इन कुओं के फिर से उपयोग में आने से ग्रामीण इलाकों में सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता में सुधार हुआ है। सोख्ता निर्माण के क्षेत्र में भी सरकार ने उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। कुओं के पास 19,542 सोख्ता बनाने का लक्ष्य तय किया गया था, जिनमें से अब तक 18,895 का निर्माण किया जा चुका है। नालंदा जिला इस अभियान में सबसे आगे रहा, जहां निर्धारित 1,939 सोख्तों का निर्माण पूरी तरह से संपन्न हुआ।
अरवल, औरंगाबाद, बेगूसराय, लखीसराय और मधेपुरा सहित कई जिलों में लक्ष्य से अधिक काम करके राज्य में जल संरक्षण के प्रति बढ़ती जनभागीदारी का प्रमाण दिया गया है। पंचायती राज विभाग के अधिकारियों के अनुसार, गांवों में जल संचयन के प्रति लोगों में अभूतपूर्व जागरूकता आई है। सरकार का उद्देश्य है कि प्रत्येक पंचायत में जल संरक्षण की एक मजबूत व्यवस्था हो, ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार के जल संकट का सामना न करना पड़े।