बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले, चुनाव आयोग ने ड्राफ्ट मतदाता सूची का नया प्रारूप जारी कर दिया है। अब डिजिटल मशीन-रीडेबल फ़ाइल के स्थान पर, स्कैन की गई छवियों को अपलोड किया गया है, जो सर्च करने में मुश्किल और आकार में पाँच गुना बड़ी हैं।
दरअसल, चुनाव आयोग ने शनिवार को बिहार में डिजिटल ड्राफ्ट मतदाता सूचियों के स्थान पर अपनी आधिकारिक वेबसाइटों पर मतदाता सूचियों की स्कैन की हुई तस्वीरें जारी की हैं। यह कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोप के दो दिन बाद आया है।
राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि चुनाव आयोग ने डिजिटल मतदाता सूची देने से इनकार कर दिया है क्योंकि इससे संदिग्ध और नकली मतदाताओं का पर्दाफाश हो सकता है जो कथित तौर पर भारतीय जनता पार्टी को चुनाव जीतने में मदद करते हैं।
बिहार की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट 1 अगस्त को चुनाव आयोग के विशेष गहन पुनरीक्षण के पहले चरण को पूरा करने के बाद जारी की गई थी। इसमें 65 लाख से ज़्यादा मतदाताओं के नाम हटा दिए गए। कहा गया कि ये मतदाता या तो मर चुके हैं, या पहले ही नामांकित हो चुके हैं या स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए हैं।
चुनाव आयोग के अनुसार, बिहार की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में 90,712 मतदाता सूचियां हैं, जिनमें 7.2 करोड़ मतदाताओं के नाम हैं। 1 अगस्त को, चुनाव आयोग ने दो अलग-अलग वेबसाइटों पर वोटर लिस्ट अपलोड की थी। एक है मतदाता सेवा पोर्टल, जो सभी उपयोगकर्ताओं को देश भर की किसी भी वोटर लिस् को 10 के बैच में डाउनलोड करने की सुविधा देता है।
दूसरी वेबसाइट बिहार एसआईआर ड्राफ्ट रोल 2025 है, जिसमें विधानसभा क्षेत्रवार जिप फाइलें हैं। हर जिप फाइल में उस निर्वाचन क्षेत्र की प्रत्येक वोटर लिस्ट होती है।
6 अगस्त को, चुनाव आयोग ने मतदाता सेवा पोर्टल से डिजिटल वोटर लिस्ट हटाकर उनकी जगह स्कैन की गई तस्वीरें लगा दीं। स्कैन किया गया प्रारूप वोटर लिस्ट की तस्वीर जैसा होता है। इसे सर्च नहीं जा सकता और इससे डेटा निकालना बहुत मुश्किल होता है। ये फाइलें आकार में बड़ी होती हैं, इनका रिज़ॉल्यूशन कम होता है, और डेटा निकालने में काफी समय लगता है और इनमें त्रुटियां होने की भी संभावना रहती है।