
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ भारत सहित कई देशों में तीव्र विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। दिल्ली में प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश उच्चायोग के बाहर अपना रोष व्यक्त किया। यह घटना ऐसे समय में हुई है जब बांग्लादेश में कट्टरपंथियों ने हिंदू युवक दीपू दास की निर्मम हत्या कर दी और उन्हें जिंदा जला दिया। इस गंभीर मुद्दे पर बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री, शेखों हसीना ने एक ऑडियो संदेश जारी कर घटना की कड़ी निंदा की है।
शेखों हसीना ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि दीपू दास को झूठा फंसाया गया था और कोई भी यह साबित नहीं कर पाया कि उन्होंने पैगंबर का अपमान किया था। उन्होंने हत्या के तरीके पर गहरा अफसोस जताते हुए कहा, “ये बर्बर लोग कहां से आए हैं?” उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या ये वही लोग हैं जिन्हें उन्होंने पाला-पोसा और शिक्षित किया?
इसके साथ ही, शेखों हसीना ने दीपू दास के परिवार से धैर्य बनाए रखने की अपील की और दृढ़ता से कहा कि जब तक वह जीवित हैं, न्याय सुनिश्चित करने के लिए वह हर संभव प्रयास करेंगी। दिल्ली से काठमांडू तक, बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अन्याय के विरुद्ध आवाज उठ रही है। दिल्ली में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को उच्चायोग तक पहुंचने से पहले ही रोक दिया। हालांकि, प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह केवल शुरुआत है; यदि यूनुस सरकार दीपू दास के हत्यारों को सजा नहीं देती है, तो एक बड़ा आंदोलन खड़ा होगा।
एक अन्य घटनाक्रम में, इस सप्ताह की शुरुआत में अज्ञात बंदूकधारियों ने बांग्लादेश के छात्र-नेतृत्व वाले 2024 के विरोध प्रदर्शन के एक प्रमुख नेता मोतालेब शिकदर की गोली मारकर हत्या कर दी। यह हमला दक्षिण-पश्चिमी খুলনা शहर में हुआ, जो कुछ दिन पहले ही प्रमुख युवा नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद हुआ है।
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