पर प्रकाश डाला गया
- 13 जनवरी से 26 फरवरी तक स्थिरता सुविधा
- किसी भी यात्री वाहन से नहीं वसूलेंगे टैक्स
- अंकित मूल्य का टोल टैक्स जारी रहेगा
एजेंसी, एजेंसी (यूपी में टोल टैक्स)। अगले साल जनवरी में उत्तर प्रदेश के पूर्वोत्तर में महाकुंभ का आयोजन हो रहा है। एक अध्ययन के अनुसार, देश-दुनिया से 40 करोड़ से ज्यादा लोग इस सौदेबाजी के दौरान प्रभावित हुए।
अच्छी खबर यह है कि प्रवेश के समय किसी भी यात्री को टोल नहीं देना होगा। सरकार ने महाकुंभ के दौरान आने वाले सभी 7 टोलों को मुफ्त करने का निर्णय लिया है।
45 दिन तक ये 7 टोल स्टॉप फ्री
- पिक्स मार्ग पर उमापुर टोल प्लाजा
- रीवा हाईवे पर ऑटोमोबाइल टोल प्लाजा
- नागार्जुन मार्ग पर मुंगारी टोल प्लाजा
- वाराणसी मार्ग हंडिया टोल प्लाजा पर
- अंधियारी टोल प्लाजा पर नेशनल हाईवे
- अयोध्या हाईवे पर मास टोल प्लाजा
- आइमा टोल प्लाजा
क्या व्यवस्था व्यवस्था
किसी भी यात्री वाहन से टोल टैक्स नहीं लिया जाएगा। हालाँकि अक़ीदतमंदों से टोल वसूला जाएगा, जिन पर माल लादा होगा। जैसे सरिया, वैलिडिटी, बालू और इलेक्ट्रॉनिक सामान लेडे कॉलोनी से टोल टैक्स की छूट जारी रहेगी। यदि किसी जीप, कार का अंकित उपयोग हो रहा है, तो भी टोल वसूला जाएगा।
कुंभ की तैयारी और विभिन्न मंडलों की समीक्षा करने के लिए असमंजस में एनएच 10 भवन के सीईओ संतोष यादव से मुलाकात के दिनों में मेला प्रशासन और जिला प्रशासन की बैठक हुई थी। इसी दौरान यात्रियों के लिए टोल फ्री करने की मांग भी उठी थी।
रेलवे चलाएगा 1200 ट्रेनें, स्ट्रीट्स पर दौड़ेंगी 7000 दोस्ती
महाकुंभ में 40 करोड़ से अधिक यात्रियों के आने का अनुमान लगाया गया है। इसी अकाउंट से इंटरेक्शन को भी अंजाम दिया जा रहा है। सड़कों का निर्माण जारी है। जहां जरूरी है, वहां रेस्तरां के नए स्टैनस्टॅक स्थल बनाए जा रहे हैं।
महाकुंभ के दौरान यात्रियों की सुविधा के लिए रेलवे ने 1200 अतिरिक्त सुपरमार्केट खोलने का निर्णय लिया है। रोड मार्ग पर यात्री सहायता के लिए 7000 यात्रियों को उतारा जा रहा है।
कुंभ पर्व 2025 राजसी स्नान तिथियां (कुंभ 2025 स्नान तिथियां)
- 14 जनवरी 2025 – मकर संक्रांति
- 29 जनवरी 2025 – मौनी टेलीकॉम
- 3 फरवरी 2025 – बसंत पंचमी
- 12 फरवरी 2025 – माघी पूर्णिमा
- 26 फरवरी 2025-महारात्रि
12 साल में क्यों होता है महाकुंभ का आयोजन?
सनातन धर्म में महाकुंभ का विशेष महत्व है। इसकी कहानी समुद्र तट से जुड़ी हुई है। अमृत कलश के लिए देवताओं और राक्षसों के बीच चीना-झपटी हुई थी और अमृत की कुछ बूँदें धरती के चार स्थानों पर गिरी थीं। ये स्थान थे- समरूप, हरिद्वार, नासिक और नासिक में गिरी। डेयरडेविल पर महाकुंभ का आयोजन होता है।
राक्षसों और देवताओं के बीच समुद्र मंथन 12 साल तक चला था। यही वजह है कि हर 12 साल में कुंभ का आयोजन होता है।