
असम के प्रिय गायक-अभिनेता ज़ुबिन गर्ग अपनी आखिरी फिल्म ‘रोई रोई बिनाले’ के साथ एक बार फिर दर्शकों का दिल जीतने आए हैं। यह फिल्म उनके प्रशंसकों के लिए एक भावनात्मक विदाई का वादा करती है। ज़ुबिन गर्ग सिर्फ एक गायक या अभिनेता नहीं थे, वे असम के लोगों के लिए एक भावना थे। उनके निधन के डेढ़ महीने बाद, 31 अक्टूबर को, उनकी अंतिम फिल्म ‘रोई रोई बिनाले’ सिनेमाघरों में रिलीज हुई, जिसने पूरे राज्य को नम आंखों से भर दिया।
असम के लोगों के लिए यह पल बेहद दुखद है, क्योंकि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि ‘रोई रोई बिनाले’ ज़ुबिन गर्ग की मरणोपरांत रिलीज होने वाली फिल्म होगी। फिल्म रिलीज के मौके पर, ज़ुबिन के असम के प्रशंसकों ने अपने चहेते सितारे को एक बार फिर बड़े पर्दे पर चलते, बोलते और सांस लेते देखकर अपने दिल की बात कही। उन्होंने बताया कि कैसे ज़ुबिन के गाने उनकी यादों का हिस्सा हैं और उनकी भावना ने राज्य को आकार दिया है।
एक प्रशंसक, सप्तादीपा भट्टाचार्जी ने कहा, “ज़ुबिन दा, जिन्होंने मेरे जीवन की यादों को आकार दिया और जिनकी भावना ने मेरे राज्य को आकार दिया।” उन्होंने आगे कहा, “यह सिर्फ एक फिल्म नहीं है, यह ज़ुबिन के साथ मेरी आखिरी बातचीत है।” उन्होंने अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा, “मेरी आंखें नम होंगी – सिर्फ दुख से नहीं, बल्कि कृतज्ञता से।” यह ऐसा महसूस होता है जैसे उनसे आखिरी बार मिलने जा रहा है, उन्हें धन्यवाद देने के लिए जो कुछ भी उन्होंने हमें दिया, और यह वादा करने के लिए कि ‘ज़ुबिनवाद’ कभी फीका नहीं पड़ेगा।
गुवाहाटी की रहने वाली पूर्णिमा कुंडू ने कहा, “ज़ुबिन हमारे लिए एक भावना हैं; हम उनके गाने सुनते हुए बड़े हुए हैं। उनकी आखिरी फिल्म हम सभी के लिए एक अंतिम विदाई की तरह महसूस होती है। ‘रोई रोई बिनाले’ भावनाओं और पुरानी यादों की एक लहर लेकर आई है।” उन्होंने यह भी कहा, “हमें क्या पता था कि हम उनके सबसे बड़े प्रोजेक्ट को उनके बिना देखेंगे। लेकिन, वास्तविकता को स्वीकार करने और इस सपने को एक बड़ी सफलता बनाने का यह सही समय है।” यह स्पष्ट है कि फिल्म देखते हुए दर्शकों की आंखों में आंसू जरूर होंगे।
‘रोई रोई बिनाले’ का निर्देशन राजेश भुयन ने किया है। फिल्म में ज़ुबिन गर्ग ने मुख्य भूमिका निभाई है, उनके साथ जॉय कश्यप, अचुरिया बोरपात्रा, मौसमी अलैफ़ा, यशश्री भुयन, कौशिक भारद्वाज जैसे कलाकार भी हैं। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी सुमन डोवराह और ज्ञान गौतम ने की है, और संपादन प्रोटीम खौंड ने किया है। फिल्म का संगीत भी ज़ुबिन गर्ग और पुरान बोरकाटोकी ने दिया है।






