22 May 2019
कश्मीर के जाने–माने अखबार कश्मीर रीडर ने 20 मई को खबर प्रकाशित कर बताया कि पाकिस्तान ने उन सभी आतंकवादी संगठनों के शिविरों को बंद करना शुरू कर दिया है जो उसके इशारों पर कश्मीर में गड़बड़ी फैलाते थे।
दुर्भाग्य की बात है कि भारत में ईवीएम के बहाने लोकतंत्र पर खूनी पंजे का साया है।
वंशवादी पार्टियों के संस्थापक नेता भ्रष्टाचार तथा अन्य अपराधों के मामले में फंसे हुए हैं। इनमें से अधिकांश तो जमानत पर घूम रहे हैं।
एग्जिट पोल में उक्त नेता अपनी पार्टियों और स्वयं की हार देखते हुए बौखला से गये हैं । अब ईवीएम के बहाने खूनी पंजा लोकतंंत्र का गला घोंटने पर उतारू है।
कांग्रेसी गठबंधन के नेता उपेंद्र कुशवाह ने आज कहा है कि नतीजों में गड़बड़ी हुई तो हथियार उठाये जायेंगे और सड़कों पर खून बहेगा। इसकी आलोचना राहुल गांधी सहित गठबंधन के किसी भी नेता ने आलोचना नहीं की है।
इसी प्रकार से पश्चिम बंगाल में लोकसभा के चुनाव के सातों चरणों में जो हिंसा हुई उसकी भी आलोचना करना तो दूर रहा बल्कि ममता बैनर्जी के शासन की प्रशंसा वंशवादी विपक्ष और वामपंथी पार्टियों ने की है।
> कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी को यह विश्वास हो चला है कि वे लोकतांत्रिक माध्यम से
प्रधानमंत्री नहीं बन सकते इसलिये वे केजरीवाल जैसे एनार्किस्ट बनने में गौरव महसूस कर रहे हैं और येन–केन–प्रकारेण सत्ता पर काबिज होना चाहते हैं। अन्य वंशवादी पार्टियों के नेता राहुल गांधी का अनुकरण कर अपने भ्रष्टाचारों के मुकदमों से अपने आपको बचना चाहते हैं।
>> कांग्रेस ने इसी कारण पाकिस्तान परस्त नीति अपना ली है। इसी उद्देश्य से मणिशंकर अय्यर पाकिस्तान गये और वहॉ मोदी को हटाने के लिये पाकिस्तान की सहायता चाही।
उसके बाद इसी उद्देश्य से नवजोत सिंह सिद्धू पाकिस्तान जाकर अपने यार इमरान खान और पाक आर्मी चीफ बाजवा से गले मिले।
>> लोकतंत्र पर अविश्वास के कारण और येन–केन प्रधानमंत्री बनने की लालसा के कारण केजरवाल तथा अन्य वामपंथी पार्टियों का अनुकरण कर राहुल गांधी टुकड़े–टुकड़े गैंग की पीठ थपथपाने के लिये जेएनयू पहुंच गये थे।
>> अपनी उक्त महत्वकांक्षा की पूर्ति के लिये उत्तर भारत से निराश होकर राहुल गांधी ने वायनाड से चुनाव लडऩे का निर्णय एक षडयंत्र के तहत लिया। वायनाड मुस्लिम प्रभावित क्षेत्र है। केरल में मुस्लिम लीग और वामपंथियों के अलावा आईएसआईएस प्रभावित पीएफआई का भी संगठन मजबूत है।
वंशवादी पार्टियां वामपंथी पार्टियों की सहायता से अलोकतांत्रिक माध्यम से सत्ता पर काबिज होना चाहती हैं।
>> कांग्रेस ने इसी उद्ेश्य से अपने घोषणापत्र में देशद्रोह कानून को समाप्त करने का आश्वासन दिया है। इसका तात्पर्य यह है कि अब ईवीएम के बहाने से यदि उपेन्द्र कुशवाहा जैसे नेताओं के उकसावे पर संवैधानिक संस्था चुनाव आयोग के विरूद्ध कोई हथियार उठायेगा, खून बहायेगा, देश को तोडऩे का षडयंत्र करेगा तो भी उन पर मुकदमा नही चल सकेगा।
‘चाहे वह कांग्रेस हो या वामपंथी पार्टियां, उनके मन में चुनाव आयोग सहित किसी भी संस्था के प्रति कोई आदर–सम्मान नहीं है और लोकतंत्र के बारे में उनका बात करना सबसे बड़ा मजाक है।Ó उन्होंने कहा, ‘उनके लिए सभी संस्थाएं, चाहे वह सशस्त्र बल, पुलिस, सीबीआई या फिर कैग हो, सभी गलत हैं और केवल वे (कांग्रेस और वाम दल) ही सही हैं।Ó
ईवीएम की कथित हैकिंग को लेकर कपिल सिब्बल की उपस्थिति में लंदन में हुए संवाददाता सम्मेलन का उदाहरण हम ले सकते हैं।
विपक्षी पार्टियों को चाहिये कि वे एक मजबूत विपक्ष बनने के लिये लोकतांत्रित पद्धति को हटायें और संभव हो तो वंशवाद विहीन एक सशक्त पार्टी की स्थापना करे जिस प्रकार से जयप्रकाश आंदोलन के बाद जनता पार्टी की स्थापना हुई थी।