Editorial :- मिशन शक्ति के सफलता के बाद चीन पाक जैसे ही भारत का विपक्ष तनाव में क्यों?

28 March 2019

न्यूक्लियर टेस्ट की तैय्यारी पर अमेरिका रख रहा था भारत पर नजर अब नहीं करेगा कोई ऐसा

मिशन शक्ति की सफलता के बाद चीन पाक जैसे ही भारत का विपक्ष भी तनाव महसुस किया।

मिशन शक्ति के बाद पाक के पीएम भयभीत इमरान खान ने बुलाई हाई लेवल मीटिंग।

ठीक इसी प्रकार से हमारे यहॉ के विपक्ष ने भी बेचैनी महसुस की।  पीएम मोदी के संबोधन पर येचुरी बुलाई विपक्ष की बैठक  भारत ने बुधवार को ऐंटीसैटलाइट हथियार का परीक्षण किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में इस बात की जानकारी दी। प्रधानमंत्री मोदी के इस संबोधन के बाद माकपा नेता सीताराम येचुरी ने चुनाव आयोग से आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत की थी जिसके बाद आयोग ने पीएम मोदी के इस संबोधन के बाद बैठक बुलाई है। येचुरी ने चुनाव आयोग को चि_ लिखी थी कि पीएम मोदी ने आचार संहिता का उल्लघंन किया है। शिकायत मिलने के बाद चुनाव आयोग ने पीएम मोदी के संबोधन की कॉपी मांगी है।

विपक्ष की शिकायत पर चुनाव आयेाग ने विचार करने के लिये एक पैनल का गठन किया है।

हमें यहॉ यह स्मरण रखना चाहिये कि  न्यूक्लियर टेस्ट की तैय्यारी पर अमेरिका रख रहा था भारत पर नजर पर मिशन शक्ति की सफलता के बाद अब नहीं करेगा कोई ऐसा।

पीएम मोदी ने इस मिशन शक्ति के सफलता पर अपने संबोधन में कहा कि हमने जो नई क्षमता हासिल की है, यह किसी के खिलाफ नहीं है बल्कि तेज गति से बढ़ रहे हिन्दुस्तान की रक्षमात्मक पहल है।

इससे स्पष्ट है कि भारत की उपलब्धि आत्मरक्षार्थ है।

इसी प्रकार से एयर स्ट्राईक भी आत्मरक्षार्थ ही की गई थी। यह एक प्रीएम्टिव अटेंम्प था। अरूण जेटली ने स्पष्ट कर दिया था कि इसका संबंध पुलवामा आतंकी हमले से नहीं है।

अतएव पाकिस्तान और चीन को टेंशन लेने की कोई जरूरत नही है।

चीन तो इस उपलब्धि को प्राप्त पहले से ही कर चुका है और पाकिस्तान से हम मैत्रिपूर्ण संबंध चाहते हैं, शर्त यह है कि वह हम पर प्राक्सीवार थोपे। आतंकवादियों को प्रशिक्षण देना बन करे। उन प्रशिक्षित आतंकवादियों की घुसपैठ हमारे यहॉ कराकर अशांति और निर्दोष लोगों का खून बढ़़ाये।

इसी प्रकार से हमारे यहॉ के विपक्ष को भी टेंशन लेने की जरूरत नहीं है। चुनाव आयोग को भी सोचना होगा और उनके साथ ही विपक्ष को सोचना होगा कि यदि मान लिया जाये अचानक भारत पर कोई देश चाहे वो चीन हो या और कोई  आक्रमण कर दे तो क्या हमारे यहॉ के प्रधानमंत्री और उनकी सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठे रह जायेगी। क्या मिशन शक्ति या एयर स्ट्राईक जैसा   कोई कदम उठाना आचार संहिता के अंतर्गत आयेगा?

नेहरू से लेकर बाद की सभी सरकारों ने  मोले जासुस कौन रहे हैं जो हमारे न्यूक्लियर सैन्य गतिविधियों की जानकारी अमेरिका तथा अन्य देशों को देते रहे हैं?

मणिशंकर अय्यर और नवजोत सिद्धू की पाकिस्तान यात्रा क्या संदेहास्पद और भारत सरकार विरोधी नहीं रही?

वोटों के लिये अभी भी कांग्रेस और अन्य  विपक्षी दल जिस प्रकार से सेना का अपमान कर रहे हैँ और एयर स्ट्राईक पर प्रश्र पूछते रहे हैँं वे क्या संदेहास्पद नहीं है?

इसी प्रकार से अभी मिशन शक्ति की सफलता से जिस प्रकार से विपक्ष तनाव में आकर प्रतिक्रियाएं दे रहा है क्या वे हमारे यहॉ की वैज्ञानिक और सैन्य क्षमता को पीछे ढकेलने का प्रयास नहीं कर रहे हैं? क्या यह देश विरोध नही है?

विपक्ष को इस पर गंभीरता से विचार कर  उचित निर्णय देश हित में लेना चाहिये कि चुनाव जीतने के लिये देश की सुरक्षा संकट में डालने के लिये।

मैने इस संबंध में 2007 में एक समाचार समीक्षा लिखी थी। इसकी लिंक इस संपादकीय के नीचे है।

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