25 January 2019
एक ओर प्रजातांत्रिक व्यवस्था वाली गैर वंशवादी पार्टियां हैं तो दूसरी ओर प्रजातंत्र को शर्मसार करती वंशवादी पार्टियां।
इंदिरा जी की छवि प्रियंका गांधी में वंशवादी भक्तों को नजर आ रही है। इस छवि की चर्चा करने वाले मीडिया को इंदिरा की इमरजेंसी नजर नहीं आ रही है।
इंदिरा इज इंडिया, इंडिया इज इंदिरा के बाद अब कौन सा नारा होगा? इंदिरा गांधी के समय पर गाय बछड़ा का चुनाव चिन्ह भी था। उसके साथ तत्कालीन इंडिया मेें इस चुनाव चिन्ह को इंदिरा और राजीव गांधी से जोड़कर देखा जाता था। इंदिरा गांधी के समय गरीबी हटाओ का नारा लगा था। वहीं नारा अभी भी लगेगा। गरीबी तो नहीं मिटी गरीब जरूर मिट गये।
भाजपा के विरूद्ध सदैव से वामपंथी दल रहे हैं। अब वामपंथी विचारधारा का नामोनिशान भी मिटते जा रहा है। भारत में अब गैर वंशवादी पार्टी मुख्यत: भाजपा ही रही है।
भाजपा के विरूद्ध कांगे्रस व अन्य विपक्षी पार्टियां हैं वे सभी वंशवादी परिवारवादी पार्टियां हैं।
संदीप घोष ने ठीक ही समीक्षा की है कि प्रियंका की एंट्री बताती है कि कांग्रेस ‘वंशवादीÓ तमगे से शर्मसार नहीं…ब्रांड ‘गांधीÓ अभी और भुनाया जाएगा।
यहां हम मार्केटिंग की दुनिया की एक जानी–पहचानी स्थिति देख रहे हैं जब एक नन्हा ब्रांड अपने मदर ब्रांड से ज्यादा कीमती साबित हो रहा है. गांधी–परिवार इस बात को हमेशा से जानता था और यह परिवार अब मार्केट में अपने लिए अनुकूल हालात जानकर बस ब्रांड को भुनाने निकल पड़ा है।
प्रसिद्ध उपनाम राजनीति में मदद करता है। नेहरू के बाद, कांग्रेस ने हमेशा ‘गांधीÓ के नाम पर लड़ाई लड़ी।यह प्रसिद्ध ‘गे्रडफादर क्लाजÓ का रूपांतर है। त्रष्ट कहता था कि आप अमेरिका में तभी मतदान कर सकते हैं जब आपके दादा ने मतदान किया हो। चूंकि अमेरिका में अधिकांश अश्वेतों के पास मतदान करने वाले दादा नहीं थे, इसलिए प्रभावी रूप से इसका मतलब था कि अश्वेत वोट नहीं दे सकते।
भारत में, त्रष्ट गांधी क्लाज का मतलब होता है: यदि आप सत्तारूढ़ गांधी परिवार के हैं तो आप स्वत: ही शासन करने के योग्य हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपकी व्यक्तिगत उपलब्धियाँ क्या हैं, आपकी विशेषताएँ क्या हैं, आपके विचार क्या हैं, आपकी दृष्टि क्या है। यह सब मायने रखता है कि आप किसी तरह नेहरू–गांधी के कबीले से जुड़े हैं और स्वचालित रूप से आप भारतीयों के जन्मजात शासक हैं।
जैसा कि लोकतंत्र लोगों का मतलब है, लोगों द्वारा और लोगों के लिए वैसे ही कांग्रेस गांधी परिवार का मतलब है, गांधी परिवार द्वारा और गांधी परिवार के लिए।
२०१२ में आज तक को दिये साक्षात्कार में रॉबर्ट वाड्रा ने स्वयं ही खुलासा किया था कि वे भविष्य में राजनीति में आकर चुनाव लड़ सकते हैं। इसी प्रकार की भविष्यवाणी उन्होंने प्रियंका जी के बारे में भी की थी। शर्त यही रखी थी कि रॉबर्ट वाड्रा जी की सास की इच्छा पर ही अर्थात उनकी अनुमति े पर ही यह सब संभव है।
६ मई २०१६ में जंतर–मंतर में लोकतंत्र बचाओ के नाम से परिवार बचाओ वंश बचाओ रैली आयोजित हुई थी। यह रैली अगस्ता वेस्टलैंड अर्थात वीवीआईपी चॉपर घोटाला के संदर्भ में हुइ थी, उस समय भी बिचौलिया क्रिस्चियन मिशेल और सिग्नोरा गांधी आदि की चर्चा हुई थी। अब २०१९ लोकसभा चुनाव में वही नारा लगेगा लोकतंत्र बचाओ अर्थात गांधी परिवार बचाओ का नारा लगेगा। क्रिस्च्यिन मिशेल की भी गूंज होती रहेगी….यदि कांग्रेस तथा अन्य को भारतीय जनता की सहानुभूति प्राप्त करनी है तो उन्हेंं चाहिये कि वे वंशवाद की परिपाटी से अपने आपको छुटकारा दिलायें।