26 February 2019
उच्चतम न्यायालय ने आज फैसला सुनाया कि यह अनुच्छेद 35ए की वैधता पर सुनवाई करेगा।
उच्चतम न्यायालय में मामला लंबित होते हुए भी कांग्रेस के नेता अलगाववादियो के साथ मिलकर पाकिस्तान के सुर में सुर मिला रहे हैं।
कांग्रेस एक राजनीतिक पार्टी है उसे जिम्मेदार रवैय्या अपनाना चाहिये। पाकिस्तान और अलगाववादियों को प्रोत्साहन मिले ऐसा कार्य नहीं करना चाहिये।
>> इस संपादकीय में आज का एक दूसरा घटनाक्रम की भी चर्चा करना आवश्यक है।
नेशनल वार मेमोरियल पर भी कांग्रेस के प्रवक्ता नेता विशेषकर सिब्बल घटिया राजनीति कर रहे हैं ऐसा आरोप भाजपा का है।
कपिल सिब्बल ने पूछा है कि क्या वॉर मेमोरियल से सैनिकों की जि़ंदगियाँ बच जाएँगी? साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर सवाल दागा कि उनकी सरकार ने पिछले 4 वर्षों में जवानों के लिए क्या किया है?
यहॉ यह उल्लेखनीय है कि वॉर मेमोरियल बनाने की माँग आज से नहीं बल्कि 60 वर्षों से चली आ रही है।
वॉर मेमोरियल के इतिहास को देखें तो हमें वास्तविकता समझने में सुविधा होगी। इसे विस्तार से इस संपादकीय के नीचे दिया गया है।
>> उच्चतम न्यायालय ने आज फैसला सुनाया कि यह अनुच्छेद 35ए की वैधता पर सुनवाई करेगा।
उक्त फैसले के बाद, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैफुद्दीन सोज़ ने विवादास्पद बयान दिया कि वह उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और यहां तक कि अलगाववादी गिलानी के साथ हाथ मिलाएंगे, यदि अनुच्छेद 35 ए को रद्द या बदल दिया जाता है।
कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज ने कहा, ‘हम जैसे लोग, चाहे वह अब्दुल्ला हों, मुफ्ती या यहां तक कि हुर्रियत के गिलानी हों, 3५ए पर हम लाल चौक पर एकजुट होंगे यदि ३५ए को छुआ तो।
दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान ने भी अनुच्छेद 35 ए को लेकर ऐसे बयान दिए हैं। पाकिस्तानियों ने दावा किया है कि अनुच्छेद में कोई भी प्रस्तावित परिवर्तन राज्य पर जनसांख्यिकीय परिवर्तन लागू करने का प्रयास होगा। एक बयान में कहा गया, Óजम्मू और कश्मीर में जनसांख्यिकीय बदलाव लाने के उद्देश्य से पाकिस्तान ऐसे किसी भी प्रयास की निंदा करता है।Ó
३५ ए पर सुनवाई अभी उच्चतम न्यायालय में चल रही है। फैसला आने के पूर्व कांग्रेस को चाहिये कि वह अलगाववाद और अशांति को हवा न दें। हुर्रियत जैसी अलगाववादी संस्थाओं और भारत के दुश्मन पाकिस्तान के हाथों हम न खेलें।