Editorial :- गांधी जी चाहते थे भंग कर दी जाए कांग्रेस : पीएम मोदी

13 March 2019

महात्मा गांधी की इस आखरी इच्छा को जताने से जुड़े दस्तावेज प्रस्तुत किये थे जयललिता ने  

अंग्रेजी शासन के दौरान नमक पर लगाए गए टैक्स के खिलाफ महात्मा गांधी द्वारा निकाले गए दांडी मार्च के 89 साल पूरे होने के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा है कि महात्मा गांधी चाहते थे कि आजादी के बाद कांग्रेस को भंग कर दिया जाए.

>> पीएम मोदी के मुताबिक, कांग्रेस ने हमेशा वंशवादी संस्कृति को बढ़ावा दिया, इसलिए वो कांग्रेस को भंग करना चाहते थे.

पीएम मोदी के इस कथन को चरितार्थ करने के  लिये एक दृष्टि से आज ही अहमदाबाद में एक कांग्रेस की सभा हुई मां,बेटे,बेटी अर्थात सोनिया गंाधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी? वाड्रा? की उपस्थिति में। स्पष्ट है कांग्रेस वंशवादी परिपाठी की वशीभूत है।

>> महात्मा गांधी चाहते थे कि आजादी के बाद कांग्रेस को भंग कर दिया जाए।

अप्रैल २०१३ को तामिलनाडू की उस समय की मुख्यमंत्री जयललिता ने आजादी के बाद महात्मा गांधी द्वारा कांग्रेस भंग करने की इच्छा जताने से जुड़े कुछ दस्तावेजी सुबूत पेश किए। राज्य विधानसभा के कुछ सदस्यों ने महात्मा गांधी की इस इच्छा को साबित करने वाले सुबूतों की मांग की थी। जयललिता ने कलेक्टेड ?क्र्स ऑफ महात्मा गांधीवॉल्यूम 90Ó के कुछ अंश पढ़कर सभी को चौंका दिया।

मुख्यमंत्री ने किताब के एक अंश को पढ़ा, जिसमें लिखा था, ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सुझावों के मुताबिक देश को बंटवारे के बावजूद राजनीतिक स्वतंत्रता मिल गई है। अब कांग्रेस के मौजूदा स्वरूप की उपयोगिता खत्म हो गई है।Ó सोमवार को एक चर्चा के दौरान निकाय प्रशासन ग्रामीण विकास मंत्री केपी मुनुसामी ने कहा था कि आजादी के बाद गांधीजी कांग्रेस को भंग करना चाहते थे।

कांग्रेस विधायक एस. विजयधरानी और प्रिंस ने इसका विरोध किया। उनका दावा था कि महात्मा गांधी ने इस संबंध में कभी कुछ नहीं कहा था। उन्होंने इसे साबित करने के लिए साक्ष्य पेश करने को कहा। इस पर मुनुसामी ने कहा कि यह इतिहास है, लिहाजा साक्ष्य पेश करने की जरूरत नहीं है। हालांकि, मंगलवार को जयललिता ने अपने मंत्रियों की बात साबित करने के लिए सुबूत पेश किया।

महात्मा गांधी का नेहरू परिवार से निकट का संबंध था। इसलिये वे नेहरूपरिवार की प्रवृत्ति को अच्छी तरह से अनुभव कर चुके थे। वे जान चुके थे कि अपने स्वार्थ के लिये नेहरू परिवार १९४७ के पूर्व की कांग्रेस का दोहन अपने स्वार्थ के लिये अपनी सत्ता लोलपु इच्छा पूर्ति के लिये १९४७ के बाद भी करता रहेगा।

इस सत्यता का आभाष आज हमें अनुभव हुआ जब सोनिया गांधी, राहुल गांधी एवं प्रियंका की जो सभा हुई उसमें प्रियंका को मीडिया ने १० जनपद की इच्छा के अनुरूप प्रियंका गांधी कहकर संबोधित किया कि प्रियंका वाड्रा कहकर।

यदि प्रियंका वाड्रा नहीं प्रियंका गांधी ही हैं तो इंदिरा गांधी कहकर क्यों संबोधन होते रहा है और हो रहा है। उन्हें भी उनके पिता के उपनाम से ही  संबोधन मिलना चाहिये।

Keep Up to Date with the Most Important News

By pressing the Subscribe button, you confirm that you have read and are agreeing to our Privacy Policy and Terms of Use