Editorial :- कांग्रेस सेना का मनोबल न घटाएं

22 February 2019

राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष का नीचे लिखा ट्वीट जनता के बीच भ्रम फैलाकर वोट बैंक पॉलिटिक्स करना है इससे सेना का मनोबल गिरता है। इससे यह भी खुलासा हो गया है कि संकट के समय सरकार को साथ देने का जो वादा उन्होंने सर्वदलीय बैठक में किया था वह विपक्ष के प्रति  आक्रोश को दबाना मात्र था।

राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘बहादुर जवान शहीद होते हैं। उनके परिवार संघर्ष करते हैं। 40 जवान अपनी जिंदगी गंवाते हैं लेकिन उनकोशहीदÓ का दर्जा नहीं मिलता। इस व्यक्ति (अंबानी) ने कभी कुछ नहीं दिया, सिर्फ लिया। उसे 30,000 करोड़ रुपए तोहफे में मिलते हैं। मोदी के न्यू इंडिया में आपका स्वागत है।Ó दरअसल, राहुल गांधी राफेल मामले को लेकर सरकार और अनिल अंबानी पर निशाना साधते रहे हैं, लेकिन सरकार एवं अंबानी के समूह ने उनके आरोपों को पहले ही खारिज कर दिया है।

कांग्रेस अध्यक्ष अज्ञान हैं यह तो नहीं कहा जा सकता। पर यह जरूर कहा जा सकता है कि उन्होंने सच्चाई वास्तविकता को छिपा कर झूठ फैलाने का प्रयास अपनी ट्विट द्वारा किया है।

>> शहीद शब्द की व्याख्या तो सेना के तीनों अंगों जल, थल वायु सेना में है और ही रक्षामंत्रालय के किसी भी दस्तावेज में।

प्रश्न यह है कि ६० वर्षों तक शासन करने वाली कांगे्रस जिसके की वर्तमान अध्यक्ष राहुल गांधी हैं उन्होंने शहीद शब्द की व्याख्या करके उसे रक्षामंत्रालय में और सेना के तीनों अंगों में क्यों नहीं किया गया।

क्या राहुल गांधी या इसके पूर्व के किसी भी कांग्रेस नेता ने स्वतंत्रता के बाद से अभी तक यह प्रश्र उठाया कि शहीद शब्द की व्याख्या की जाये।

सच पूछा जाये तो कांग्रेस की पॉलिसी ही रही है कि भ्रम फैलाओ।

संविधान में कांग्रेस शासनकाल में धर्मनिरपेक्ष सेक्युलर शब्द को जोड़ तो दिया गया संशोधन करके परंतु उसकी व्याख्या नहीं की गई।

इससे सेक्युलर शब्द का दुरपयोग अपनी सुविधानुसार चालू है।

इसी प्रकार से शहीद शब्द का राहुल गांधी अपनी सुविधानुसार सेना का मनोबल गिराने के लिये अब कर रहे हैं।

इसी प्रकार से दलित शब्द तो संविधान में है और ही इसकी व्याख्या की गई है।

देश के दो हाईकोर्ट ने यह निर्णय भी दिया है कि दलित शब्द का उपयोग किया जाये।

मोदी सरकार ने इसके लिये सभी प्रांतों को निर्देश भी जारी किये हैं।

बावजूद इसके देश को बांटने के लिये इस शब्द का उपयोग मीडिया में भी धड़ल्ले से जारी है:

>> इसी प्रकार से  वाड्रा और गांधी शब्दों के संबंध में भी लोगों को भ्रमित किया जाते रहा है।

>> प्रियंका वाड्रा (का नेमप्लेट) अभी कांग्रेस कार्यालय में लगाया गया है।

बावजूद इसके मीडिया तक में भी प्रियंका को प्रियंका वाड्रा के नाम से ही संबोधित किया जा रहा है।

हमारे सभी पार्टियों को और उनके नेताओं को अपनी ऊपर लिखी गलतियों को सुधारने पर विचार करना चाहिये।

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