26 April 2019
१९८० से पाकिस्तान प्रयोजित आतंकवाद से भारत जूंझ रहा है। कांग्रेस और यूपीए के शासनकाल में मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति पर ही नहीं बल्कि हिन्दू आतंक और भगवा आतंक का झूठा प्रचार कर पाक प्रायोजित आतंकवाद का सामना करने का प्रयत्न हुआ।
बंग्लादेश और श्रीलंका के आतंकी हमलों की जड़ में दिग्गी के शांतिदूत जाकिर नाईक :
दिग्विजय सिंह ने जिस जाकिर नाईक को शांति दूत की उपाधि से विभूषित किया था उसी के भाषणों से प्रेरित होकर २०१६ में कुछ बांग्लादेशी आतंकवादियों ने एक जुलाई को ढाका के एक रेस्तरां में 22 लोगों को मार डाला जिसमें अधिकतर विदेशी नागरिक थे।
उक्त आतंकी हमले के पीछे जाकिर नाईक का हाथ होने के कारण बांग्लादेश की सरकार ने भारत के विवादास्पद धर्म प्रचारक जाकिर नाइक के पीस टीवी चैनल के प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया है.
>> इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाईक के तार ढाका में हुए आतंकवादी हमले से जोड़े जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि दो आतंकी उससे प्रभावित थे। जाकिर नाईक मुंबई का रहने वाला है। वो ओसामा बिन लादेन को आतंकी नहीं मानता। पीस टीवी के ज़रिये बांग्लादेश में लोकप्रिय हुआ।
दिग्विजय सिंह तथा अन्य कांग्रेसी नेता भी जाकिर नाईक के पद चिन्हों पर चलकर ओसामा को ओसामा जी कहकर संबोधित करते रहे हैं।
> कहा जा रहा है कि दिग्विजय के शांतिदूत डॉ. जाकिर नाइक से प्रेरित था श्रीलंका हमले का मास्टरमाइंड।
इमाम मौलवी ज़हरान हाशिम नस्लवाद और इस्लामी वर्चस्व की विचारधारा को मानने वाला था. उसने यूट्यूब पर कई वीडियो भी पोस्ट किए थे, जिसमें उसे उकसाने वाली बातों का प्रचार प्रसार करते देखा जा सकता था. अपने एक वीडियो में कट्टरपंथी मौलवी ज़हरान हाशिम कहता दिख रहा है कि ज़ाकिर नाइक के लिए श्रीलंकाई मुसलमान क्या कर सकते हैं?
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या २०१६ में बंग्लादेश के ढाका में हुए आतंकी हमले के जैसे ही श्रीलंका के आतंकवादी हमलों का मास्टरमाइंड जाकिर नाइक से प्रेरित था?
>> यूपीए शासनकाल में पाक प्रायोजित आतंकवाद का सामना करने के लिये कांग्रेस ने जो नीति अपनाई वह पाक परस्त और मुस्लिम तुष्टिकरण और हिन्दू भगवा आतंक का झूठ प्रसारित करने पर आाधारित थी।
यही कारण है कि कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक विभिन्न प्रांतों के विभिन्न स्थानों पर आतंकी घटनाएं होती रही हैं।
>> २०१४ में भाजपा के बहुमत आने के बाद एनडीए की सरकार नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बनी।
मोदी सरकार जब से बनी है तब से कश्मीर के अलावा भारत के अन्य स्थानों पर आतंकी हमले होने बंद हो गये हैंं इसका एकमेव कारण यह है कि यह सरकार मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति पर न चलकर सबका साथ सबका विकास के मंत्र को लेकर चल रही है।
अब ये भी संभावना प्रकट की जा रही है कि २०१९ के लोकसभा चुनाव के बाद पुन: मोदी सरकार के बनने से कश्मीर में भी आतंकवाद का सफाया हो जायेगा क्योंकि मोदी सरकार राष्ट्रवाद आधारित नीति को अपनाने का दृढ़ निश्चय कर रखी है।
एक ओर जहॉ कश्मीर के अलगाववादियों और पाकिस्तान तथा चीन को खुश करने के लिये भारत की सेना को कमजोर करने और उसे बदनाम करने की नीति पर कांग्रेस और अन्य परिवारवादी पार्टियां चल रही हैं ठीक इसके विपरीत पीएम मोदी सेना को फ्री हैंड देने और आधुनिक रक्षा संसाधनों को उपलब्ध कराकर राष्ट्रवाद आधारित नीति पर चलने का दृढ़ निश्चय की हुई है।
यूपीए शासनकाल में हिन्दू और भगवा आतंकवाद का झूठ प्रसारित करने का जो षडयंत्र रचा हुआ था उसका भंडा फोड़ करने के लिये प्रतिकात्मक रूप में आतंंकवाद को प्रोत्साहन देने वाले दिग्विजय सिंह के विरूद्ध भोपाल से साध्वी प्रज्ञा भारती को चुनावी मैदान में उतारा गया है।
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