1 March 2019
सैनिक राजनीतिक नेतृत्व शक्ति का परिचय दिया भारत ने डोकलाम के बाद बालाकोट पर एयर स्ट्राईक के जरिए
आज दोपहर को भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन वाघा बॉर्डर के रास्ते देश वापस लौटेंगे। अभिनंदन ग्रुप कैप्टन जेडी कूरियन के साथ वाघा बॉर्डर पहुंचेंगे। वहॉ उनका भव्य स्वागत किया जायेगा।
पैराशूट से उतरने, पाक ग्रामीण से घिरने के बाद अभिनंदन ने एक छोटे तालाब में छलांग लगा दी। तालाब में कूदते ही अभिनंदन ने अपने पास से कुछ नक्शे और दस्तावेज़ निकाले. जितने वह चबाकर निगल सका निगल गया और बाकी कागज़ात उसने तालाब के पानी में ही गला दिये. इस दौरान अभिनंदन के पीछे पड़े नौजवान लगातार उसे पिस्तौल फेंकने की धमकी दे रहे थे और फिर एक ने अभिनंदन के पैर में गोली दाग दी।
इस घटना के संदर्भ में मुझे इसके विपरीत एक और ऐतिहासिक घटना का स्मरण हो रहा है। हिटलर के समक्ष एक जर्मन युवक सेना में भर्ती होने के लिये पहुंचा। उसे देखकर हिटलर के सैनिक अधिकारी ने कहा कि इसे तो वे पहचानते हैं। यह तो डरपोक है सेना में भर्ती लायक नहीं है।
इस पर हिटलर ने कहा कि यदि ऐसा है तो इसे जरूर सेना में भर्ती कर लिया जाये। वह सेना में भर्ती हो गया। उसका उपयोग किस प्रकार से हिटलर ने किया यह एक उदाहरण है।
हिटलर की सेना दुश्मन की सेना पर आक्रमण करने के लिये कूच कर रही थी। उस सेना के बहुत दूरी पर आगे उस कथित कायर सैनिक को भी भेज दिया गया। उस सैनिक के पाकेट में एक गलत नक्शा रख दिया गया जिसमें उल्लेख था कि वह जर्मन सेना किस रास्ते से जायेगी।
उस कायर सैनिक को जब दूरी दुश्मन की से सेना आती हुई दिखी तो वह घबरा कर डर कर झाड़ के ऊपर चढ़ गया। परंतु दुश्मन की सेना ने उसे पकड़ लिया। पकडऩे पर तलाशी में वह (गलत) नक्शा मिला। उसे दुश्मन सेना ने सहीं समझकर उसी रास्ते पर चल पड़ी और पीछे से जर्मनी की सेना ने आक्रमण कर दिया।
कहने का तात्पर्य यह है कि सेना को शारीरिक और अस्त्र शक्ति के अलावा चतुरता, बुद्धिमत्ता की भी उपयोग करने की आवश्यक्ता होती है।
इसी संदर्भ में एक और उदाहरण १९६५ के युद्ध का भी है। पहाड़ी पर हमारी सेना थी। हमारे यहॉ की सेना ने खच्चर पर लालटेन लटका दी। फिर खच्चर को सामने की ओर खदेड़ दिया। पीछे की ओर विपरीत दिशा में हमारे यहॉ की सैनिक कूच किये। खच्चर के गले में लालटेन लटके देख पाक की सेना ने समझा कि इसी के पीछे भारत की सेना होगी वह उस ओर बढ़े। पीछे से हमारे यहॉ की सेना ने पाक सेना पर आक्रमण किया। इस प्रकार से कई प्रकार की सूझ–बूझ का परिचय भी सैनिक को बहादुरी के साथ और अस्त्र की क्षमता के अलावा भी देना पड़ता है।
दुनिया में प्रसिद्ध अमेरिका से प्राप्त एफ–१६ विमान को हमारे यहॉ के बहुत वर्षों पूर्व की तकनीक की मिग–२० ने ध्वस्त कर दिया। यह भी अभिनंदन के द्वारा ही संभव हुआ जो सैनिक युद्ध इतिहास में सदैव स्मरण रखा जायेगा। इसके लिये भी वे अभिनंदन के पात्र हैं।
इससे भी अधिक अभिनंदन के पात्र अभिनंदन के पत्नि और पिता भी हैं। वे भी दोनों फौजी रहे हैं। उन्होंंने भी धैर्य नहीं खोया। अभिनंदन के पिता ने विज्ञप्ति जारी करते हुए लिखा कि उन्हें उनके पुत्र की बहादुरी पर गर्व है।
ठीक इसके विपरीत प्तह्यड्ड4ठ्ठशह्लश2ड्डह्म् का रोना रोने वाले प्तह्यड्ड4ठ्ठशह्लशह्लद्गह्म्ह्म्शह्म्द्बह्यद्व कह कर सोशल मीडिया में छा जाते तो यह उनके द्वारा हमारे बहादुर पायलट अभिनंदन का सर्वोच्च अभिनंदन होता।
ऐसे लोगों को पहचानिए, और इनके अजेंडाबाजी पर, फर्जी के आँसू पर, इनकी नग्नता और निम्न स्तर के ट्वीटों पर सवाल कीजिए कि इतना गिरने की क्या ज़रूरत है? इनसे पूछिए कि कहाँ से लाते हैं ऐसा ज़हर जो उसी देश के खिलाफ इस्तेमाल होता है जिन्होंने उन्हें इतना बोलने की आज़ादी दे दी है कि वो देश के अस्तित्व को ही मिटाने वालों के साथ खड़े हो जाते हैं।