11 February 2019
अबूधाबी एक मुस्लिम देश है। भारत में हिन्दी राष्ट्रभाषा है। बावजूद इसके वोट बैंक पॉलिटिक्स की वजह से समय–समय पर कांग्रेस विशेषकर कर्नाटक कांग्रेस तथा द्रमुक जैसी संस्थाओं द्वारा विरोध किया जाते रहा है।
कर्नाटक में सिद्धारमैय्या की कांग्रेस सरकार थी उस समय उनके प्रोत्साहन से कर्नाटक मेट्रो में हिन्दी भाषी कर्मचारियों को बर्खास्त करने का आव्हान किया गया था और व्यापारिक संस्थानों में लगे हिन्दी होर्डिंंग पर कालिख पोत दी गई थी।
इसी प्रकार से कांगे्रस समर्थित द्रमुक द्वारा तामिलनाडु में भी हिन्दी का विरोध किया गया था।
अब समाचार है कि अबू धाबी ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए अरबी और अंग्रेजी के बाद हिंदी को अपनी अदालतों में तीसरी आधिकारिक भाषा के रूप में शामिल कर लिया है। न्याय तक पहुंच बढ़ाने के लिहाज से यह कदम उठाया गया है।
अबूधाबी मे रहने वाले ज्यादातर भारतीय दक्षिण भारत के प्रांतों के ही हैं। बावजूद इसके अबूधाबी की सरकार हिन्दी को महत्व दी है, परंतु ठीक इसके विपरीत कर्नाटक कांग्रेस और द्रमुक जैसी संस्थाएं भारत में उसका विरोध करती हैं।
राहुल गांधी और दूसरी ओर उनके निर्देश पर मुस्लिम तुष्टिकरण के लिये शशि थरूर ने ट्विट किया था : – हिंदी, हिंदू, हिंदुत्व की विचारधारा देश को बांट रही है।
थरूर ने यह भी लिखा कि देश को एकता की जरूरत है, एकरूपता की नहीं
थरूर का यह बयान तमिलनाडु के एक पीएचडी स्कॉलर के ट्वीट के जवाब में आया है
स्टूडेंट अब्राहम सैमुएल को हिंदी न बोल पाने के कारण मुंबई एयरपोर्ट पर रोका गया था।
यहॉ यह उल्लेखनीय है कि दिसंबर 1995 में जस्टिस जेएस वर्मा की अगुआई वाली बेंच ने यह फैसला दिया था। कोर्ट ने कहा था, ‘हिंदुत्व शब्द भारतीय लोगों के जीवन पद्धति की ओर इशारा करता है। इसे सिर्फ उन लोगों तक सीमित नहीं किया जा सकता, जो अपनी आस्था की वजह से हिंदू धर्म को मानते हैं।Ó
इस फैसले के तहत, कोर्ट ने जनप्रतिनिधि कानून के सेक्शन 123 के तहत हिंदुत्व के धर्म के तौर पर इस्तेमाल को ‘भ्रष्ट क्रियाकलापÓ मानने से इनकार कर दिया था।
इस सेक्शन के तहत बॉम्बे हाई कोर्ट ने कई बीजेपी–शिवसेना कैंडिडेट्स के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उस वक्त मिली जीत को खारिज कर दिया था। बाल ठाकरे, मनोहर जोशी, आरवाई प्रभु जैसे नेताओं की याचिका पर सुनवाई करते हुए तीन जजों वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा था कि ‘हिंदुत्वÓ व ‘हिंदुवादÓ को छोटे खांचे में रखकर नहीं देखा जाना चाहिए व इसे हिंदू धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।
सर्वोच्च न्यायालय का कहना था कि जब तक स्पीच किसी के प्रतिकूल या प्रत्यक्ष तौर पर हमला करने वाली न हो, उसमें प्रयोग हुए ‘हिंदुत्वÓ को हिंदू धर्म व हिंदू धर्म में विश्वास रखने वालों के लिहाज से नहीं माना जाना चाहिए। जस्टिस वर्मा ने कहा कि सिर्फ इस आधार पर कि भाषण में ‘हिंदुवादÓ व ‘हिंदुत्वÓ जैसे शब्द इस्तेमाल हुए हों, व्यक्ति को धारा 123 के सेक्शन (3) व (3्र) के तहत शामिल नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा था कि यह भी संभव है कि इन शब्दों का इस्तेमाल धर्मनिर्पेक्षता को बढ़ा वा देने व भारतीयों की जीवनशैली बयां करने के लिए किया गया हो।
यहॉ यह उल्लेखनीय है कि हाल ही में बिहार की राजधानी पटना में कांग्रेस के नेता शशि थरूर के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में भी शिकायत कर्ज कराई गई है। यह शिकायत पटना मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराई गई है।
दरअसल मंगलवार को उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज में संगम तट पर डुबकी लगाईं थी। मुख्यमंत्री की यह तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी। कांग्रेस के नेता शशि थरूर ने मुख्यमंत्री की इसी फोटो को ट्वीट करते हुए उन्हें निशाने पर लिया था। थरूर ने लिखा था कि गंगा भी स्वच्छ रखनी है और पाप भी यहीं धोने हैं, इस संगम में सब नंगे हैं, जय गंगा मैया की।
यह भी आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है कि राहुल गांधी कुंभ में डुबकी लगाने अभी तक क्यों नहीं गये हैं?
हिन्दी,हिन्दू, हिन्दुत्व से वोट बैंक की राजनीति के कारण विरोध करते हुए अलगाववाद को प्रोत्साहन नहीं देना चाहिये। Óद हिन्दूÓ अंगे्रेजी दैनिक तथा ‘हिन्दुस्तान टाईम्सÓ कांग्रेस और वामपंथी विचारधारा वाले होते हुए भी अपने नाम में परिवर्तन नहीं किये हैं। फिर भी भाजपा व मोदी विरोध के नाम पर हिन्दी हिन्दू व हिन्दुस्तान शब्दों से कांग्रेस व उसके थरूर जैसे नेताओं को नफतर क्यों है?