पीडीपी के मीर का ‘अलगाववाद राग, मांगे अफ जल गुरु और मकबूल भट्ट के अवशेष
13 February 2019
कांग्रेस सांसद की कार ने संसद परिसर में मचाया हड़ंकप, धमाके की आवाज से मची हलचल, बढ़ाई गई सुरक्षा, जानिए पूरा मामला।
१२ फरवरी के उक्त समाचार को पढऩे के उपरांत मुझे दो दिन पूर्व के घटनाक्रम का भी स्मरण हो रहा है।
९ फरवरी २०१५ को शशि थरूर ने कहा था कि संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी देना गलत था और उसे गलत तरीके से किया गया। दो साल पहले अफजल गुरु को फांसी दी गई थी जिसका कश्मीर में काफी विरोध हुआ था। तब थरूर की पार्टी कांग्रेस सत्ता में थी
केरल से कांग्रेस सांसद थरूर ने ट्वीट किया, ‘मेरे ख्याल यह घटना गलत भी थी और इसे खराब तरीके से अंजाम दिया गया। पहले परिवार को चेतावनी दी जानी चाहिए थी। उन्हें आखिरी मुलाकात का मौका मिलना चाहिए था और बाद में उन्हें शव भी सौंपा जाना चाहिए था।Ó
थरूर का टह ट्वीट उस खुलासे के बाद आया है कि जम्मू–कश्मीर के पांच कांग्रेस विधायकों ने एक बयान में माना है कि अफजल गुरु की फांसी एक गलती थी।
इस बयान में कहा गया: गुरु के लिए माफी की मांग जायज थी और उसके अवशेष उसके परिवार को लौटाए जाने चाहिए। उसके परिवार को उससे अंतिम मुलाकात का मौका न देना भी एक गलती थी।
बताया जाता है कि यह बयान राज्यसभा की एक सीट के लिए पार्टी के नेता गुलामनबी आजाद को वोट देने के बदले जारी करवाया गया। एक निर्दलीय विधायक इंजीनियर रशीद ने कांग्रेस से कहा कि उनका वोट चाहिए तो ऐसा बयान जारी करें। आजाद के लिए वोट डालने से पहले राशिद ने असेंबली में यह बयान पढ़कर सुनाया और कहा, ‘लोगों तक यह संदेश पहुंचना चाहिए कि अफजल को फांसी देने वाली कांग्रेस ने मान लिया है कि उसने अन्याय किया।Ó
अब कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे शशि थरूर ने भी इसी तरह की बात कही है।
यहॉ यह स्मरण दिलाना भी आवश्यक है कि जेएनयू में कन्हैय्या कुमार, उमर खालिद आदी अलगाववादी छात्र नेता जिन पर देशद्रोह के मुकदमें चल रहे हैं उन्होंने जेएनयू में अफजल गुरू का शहीदी दिवस मनाया था और उस समय आजादी के नारे जब लग रहे थे उसमें सहभागी बने थे।
आजादी नारे लगने के तुरंत बाद उनकी पीठ थपथपाने के लिये केजरीवाल और राहुल गांधी वामपंथी नेताओं के साथ पहुंच गये थे।
हम अपेक्षा करते हैं कि सत्ता प्राप्ति के लिये अलगाववाद को प्रोत्साहन महागठबंधन के नेता और पार्टियां नहीं देंगी।