4 April 2019
कांग्रेस के घोषणापत्र को पीएम मोदी ने ढपोसला पत्र कहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की तरह इनका घोषणा पत्र भी भ्रष्ट होता है, बेइमान होता है, ढकोसलों से भरा होता है, इसलिए इसे घोषणा पत्र नहीं बल्कि ढकोसला पत्र कहना चाहिए।
कांग्रेस के घोषणापत्र की वो बातें जिनसे तय हुआ बीजेपी का चुनावी एजेंडा :
>> कांग्रेस ने किया है ्रस्नस्क्क्र की समीक्षा का वादा
>> देशद्रोह पर कांग्रेस–बीजेपी में दो–दो हाथ
>> कश्मीर पर कांग्रेस की नरमी पर बीजेपी आक्रामक
>> जिन्हें हिंदू आतंकवादी बताया वो जाग गए हैं: मोदी
>> देश विरोधियों को जेल भेजकर रहेंगे
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि छ्वहृ में नारे लगे भारत तेरे टुकड़े होंगे और राहुल गांधी वहां जाकर कहते हैं कि आपको वाणी स्वतंत्रता का अधिकार है. राहुल बाबा हमे और हमारी पार्टी को गाली दे लीजिए, लेकिन अगर कोई देश विरोधी नारे लगाएगा तो उसे हम जेल की सलाखों के पीछे भेजकर रहेंगे. जम्मू में सबसे पहला काम भारतीय जनता पार्टी की नरेन्द्र मोदी सरकार ने रोहिंग्या घुसपैठियों को रोकने का किया।
जेटली का कांग्रेस पर हमला, कहा– ‘टुकड़े–टुकड़े गैंगÓ ने तैयार किया ड्राफ्ट कांग्रेस को घोषणापत्र जिसमें शामिल शहरी नक्सलियों ने तमाम अपराध के बावजूद अपनी जमानत का इंतजाम करने की कोशिश की है। इसके लिए कानून की विभिन्न धाराओं में संशोधन किया जाएगा। जाहिर है जमानत के नियम बन जाने के बाद नक्सलियों के साथ–साथ आतंकी और महिलाओं के साथ अपराध करने वालों का भी कानूनी शिकंजे से बचना सुनिश्चित हो जाएगा। वहीं महिलाओं को सुरक्षा देने का केवल जुबानी वादा किया गया है।
कांगे्रस के घोषणापत्र में ठग बहराम और ठग नटवरलाल जैसे पॉलिटिकल ठगों की भरमार है।
भारत में भी ऐसे ही कुछ कुख्यात लोग हुए हैं जिनके कारण भारत ही नहीं, विश्व के कई देश परेशान होते रहे हैं।
भारत के कुख्यात सरगना और मोस्ट वॉन्टेड तो कई हैं, जैसे कई कश्मीर के आतंकवादी–अलगाववादी, पूर्वोत्तर के उग्रवादी, बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, ओडिशा आदि जगहों के नक्सलवादी और माओवादी। अंडरवल्र्ड केडॉन आदि। ये सभी अर्धराजनीतिज्ञ हैं और अर्ध देशविरोधी?
उक्त टुकड़े–टुकड़े गैंग के साथ कांग्रेस का हाथ उसके घोषणापत्र के माध्यम से हो चुका है।
ठग बहराम के बारे में कहा जाता है कि ब्रिटिश राज में उसने ९०० से भी अधिक ठगी करने के लिये हत्याएं भी की थी। परंतु उस समय जो कानून ब्रिटिश राज मेें था उसके अंतर्गत ठग बहराम को सजा नहीं मिल सकती थी। इसे देखते हुए ब्रिटिश हुकुमत ने नए कानून बनाए और उसके अंतर्गत ठग बहराम को गिरफ्तार कर सजा दी गई।
कांग्रेस का घोषणापत्र का एक प्रमुख हिस्सा देश के साथ नहीं देशद्रोहियों के साथ है यह आरोप उन पर लग रहा है।
कांग्रेस का घोषणापत्र जिस समिति ने बनाया उसमें प्रमुख रूप से राहुल गांधी के गुरू द्वय सेम पित्रोदा और पी चिदंबरम हैं। दोनों ही बेल पर हैं अर्थात जमानत पर हैं उन पर मुकदमें चल रहे हैं इसलिये समझा जा सकता है कि जमानत पर घूम रहे सेम पित्रोदा, पी चिदंबरम द्वारा बनाया गया घोषणापत्र कैसा होगा।
राहुल गांधी का ऐलान है अंबानी जैसे अमीरों से पैसा लेकर देश के गरीबों को वे देंगे
नटवरलाल को अपने किए पर कोई पछतावा नहीं था। वह अपने आपको ‘रॉबिनहुडÓ मानता था। कहता था कि मैं अमीरों से लूटकर गरीबों को देता हूं। उसने कहा कि मैंने कभी हथियार का इस्तेमाल नहीं किया।
भूपत सिंह चौहाण के कहर से जहां राजे–रजवाड़े और अंग्रेज कांपा करते थे, वहीं गरीबों के दिल में उसके लिए सर्वोच्च स्थान था। यही कारण था कि उसे ‘इंडियन रॉबिनहुडÓ कहा जाता था जिसे कभी पुलिस पकड़ नहीं पाई। भूपत की कई क्रूरताभरी कहानियां हैं तो कई उसकी शौर्यगाथाओं और गरीबों के प्रति उसके प्रेम का गुणगान करती हुई भी हैं।
राहुल गांधी आज बेल पर हैं तो उसमें उनका बहुत कुछ श्रेय उनके गुरूओं को भी जाता है। गुरूओं से ही प्रेरणा प्राप्त कर वे भारत की राजनीति के रॉबिन हुड बनना चाहते हैं।
परंतु वे भूल जाते हैं कि भारत का संविधान और भारत के कानून उन्हें ऐसा करने की इजाजत नहीं देंगे।
राहुल गांधी को चाहिये कि वे संविधान के अंतर्गत रहकर प्रजातांत्रिक तरीके से कानून के दायरे में रहकर अपने क्रियाकलाप करें और कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के नाते उसका संचालन करें।
यहॉ यह भी कांग्रेस को समझना चाहिये कि भारत में प्रजातांत्रिक भारत में पहले के जमाने मेंं जैसे आदिवासी इलाकोंं में कबीले हुआ करते थे उससे भी बदतर वे कांग्रेस को नहीं बनाये।
पहले के आदिवासी कबीलों में वंशवाद नहीं चलता था जो शक्तिशाली होता था वही कबीले का सरदार बनता था।
परंतु कांग्र्रेस तो वंश वाद के आधार पर कांग्रेस का नेतृत्व गांधी परिवार को सांैंपती जा रही है और जिस प्रकार से हाथी के दात दिखाने के और खाने के और होते हैं उसी प्रकार से दिखाने के लिये कांग्रेस तथा अन्य वंशवादी पार्टियों में दिखाने के लिये प्रजांतत्र है परंतु उनका नेतृत्व हर समय वंशवाद पर आधारित होता है।
अब ऐसा लगता है कि अब यदि पुन: नरेद्र मोदी प्रधानमंत्री बनें तो वंशवादी पार्टियों को अपनी व्यवस्था बदलनी होगी।
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