29 March 2019
उस चित्र का स्मरण किजिये जब ममता बैनर्जी और मायावती से सोनिया जी ठिठोली कर रही थी। अब अभी का जो चित्र फिल्माया जा रहा है विपक्ष की राजनीति में उसे अपने आंखों के सामने लायेंगे तो महसुस होगा कि एक ओर बंगाल में राहुल गांधी मालदा में ममता पर हमला बोल रहे हैं तो दूसरी ओर उसकी प्रतिक्रिया में ममता जी राहुल की बच्चा कहकर मजाक उड़ाती हैं और इसका समर्थन कांग्र्रेस की हमसफर एनसीपी के माजिद मेमन करते हैं।
उक्त सभी घटनाक्रम के कारण ही अमित शाह का विपक्ष पर निशाना साधने का अवसर मिल गया– दिन में होते हैं आमने–सामने, रात में करते हैं द्बद्यह्व–द्बद्यह्व.
>> इससे यह भी सिद्ध हुआ कि राजनीति में कहा जाता है कि कोई इसमें न कोई स्थाई दोस्त होता और न ही कोई स्थाई दुश्मन।
>> परंतु उक्त घटनाक्रम पर नजर डाली जाये तो एक बात और सिद्ध होती है कि जाने–अंजाने पीएम मोदी को कांगे्रस और अन्य वंशवादी पार्टियां अपना स्थाई दुश्मन मान रही है।
सबूत विपक्ष सबूत मांगने के चक्रव्यूह में स्वमेव फंस गया है कि उससे बाहर निकलना या तो उसके लिये मुश्किल हो गया है या वह निकलना नहीं चाहता।
जब सर्वप्रथम सर्जिकल स्ट्राईक हुई तो राहुल गांधी, केजरीवाल सहित प्राय: सभी विपक्षी पार्टियों ने सबूत मांगने प्रारंभ कर दिये थे।
अपनी उक्त सबूत वाली मांग की रक्षा के लिये राहुल गांधी ने उस सर्जिकल स्ट्राईक के हिरो को अपनी पार्टी में सम्मिलित कर लिया अब पता नहीं वह हिरो कहा है?
इसके बाद एयर स्ट्राईक के भी सबूत मांगना प्रारंभ कर दिये गये।
एयर स्ट्राईक के बाद अब विपक्ष की आंखों में खटकने लगी अंतरिक्ष पर हुई सर्जिकल स्ट्राईक भी।
इसी प्रकार से हमने देखा कि चौकीदार चोर है अर्थात प्रधानमंत्री को चोर कहकर राहुल गांधी बुरी तरह फंस गये हैं परंतु इस कथनों से वे या तेा निकलना नहीं चाहते या तो उन्हें निकलना नहीं मालुम।
इन सब समाचारों पर निगाह डालते समय मुझे एक दो वाकया स्मरण हो रहे हैं :
इंडिया न्यूज चैनल में डिबेट में दर्शक ने पूछा कि मंै पीएम मोदी को वोट न देकर राहुल गांधी को वोट दे सकता हूं परंतु मुझे बताया जाये कि क्यों दूं? उनकी उपलब्धि क्या है?
इसी प्रकार से ओपी इंडिया में भी एक संपादकीय है प्रियंका गांधी के संबंध में– इंदिरा की नाक और राहुल का दिमाग।
इसी समय मुझे उस सपूत का भी स्मरण हो रहा है : शहीद जाट जवान की आखिरी स्नक्च पोस्ट, मुझे रिजर्वेशन नहीं रजाई चाहिए।
स्वतंत्रता के बाद की कांगे्रस को ७२ वर्ष हो गये हैं अब इसके अध्यक्ष राहुल गांधी ने जो न्याय ६० वर्षोँ के शासनकाल में कांग्रेस नहीं कर सकी वह अब राहुल गांधी सपनों के सौदागर मुंगेरी लाल के हसीन सपने बेचकर कर रहे हैं : ५००० गरीब परिवारों को वे देंगे ७२००० प्रतिवर्ष।
यह भी आज मीडिया में प्रकाशित हुआ है कि यह विचार विदेश में रह रहे भारत के पूर्व आरबीआई गवर्नर राजन ने दिया है। राहुल गांधी इस स्कीम को ठीक से समझा नहीं सके तो उन्होंने कह दिया कि चिदंबरम जी समझायेंगे। कांगे्रस के इस घोषणापत्र को बनाने वाली समिति में सेम पित्रोदा जी भी हैं। राहुल गांधी सहित ये दोनों दागदार हैं और बेल पर हैं।
कॉमर्स में हमने पढ़ा था कि खाली मस्तिष्क शैतान का होता है और जनता केा हराम का खाने की आदत नहीं डलवानी चाहिये। जनता के हाथों को काम देना चाहिये । यह भी कहा गया कि यदि कोई काम सूझ नहीें रहा हो तो गड्ढे खुदवायें और भरवायें। परंतु यहॉ तो राहुल गांधी को कथित अर्थशास्त्री और दागदार बुद्धिजीवी उल्टी सलाह दे रहे हैं।
इतना ही नहीं यूपी सीएम योगी जब सड़कों पर के गड्ढों को भरवाने की बात कह रहे हैं तो उनका भी यह अर्थशास्त्री हो सकता है मजाक उड़ायें।
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