4 March 2019
जिस कांग्रेस ने सेना प्रमुख विपिन रावत को सड़क का गुंडा कहा था। कश्मीर में पाक एक्सपोर्टेड आतंकवादियों से मुठभेड़ कर रही सेना को देशविदेश में बदनाम करने की साजिश अनेक विपक्षी नेताओं ने की है। अब ये ही पार्टियां और नेता वायुसेना की कार्रवाई एयरस्ट्राईक का तो समर्थन करते हैं सेना की प्रशंसा करते हैं परंतु ठीक इसके विपरीत प्रधानमंत्री मोदी की राजनीतिक, कुटनीतिक निर्णय लेने की क्षमता की प्रशंसा करने पर आहत हो जाते हैं।
एयर स्ट्राइक के बाद जब भाजपा ने जश्र मनाया, अमित शाह तथा अन्य नेताओं ने मिठाई खाई और खिलाई तो कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी पार्टियों को बुरा लगा।
कितना ही अच्छा होता भाजपा के साथ–साथ विपक्षी पार्टियां भी जिस प्रकार से कांग्रेस के नेतृत्व में इक_ा हो रही हैं महागठबंधन बना रही हैं उसी प्रकार से एयर स्ट्राईक के जश्र को मनाती।
चुरू में पीएम मोदी के भाषण पर और Óदेश नहीं झुकने दूंगा Ó कविता को २०१४ जैसे ही दोहराने पर उसे सेना के प्रयासों का राजनीतिकरण कहकर आलोचना प्रारंभ कर दी। अन्य भाषणों पर भी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा वोट की राजनीति कर रही है। यह भी सत्य है कि जिस दिन चुरू में पीएम मोदी का भाषण हुआ उसी दिन राहुल गांधी का भी भाषण गुवाहाटी में हुआ था।
पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने गंगा सफाई के कदम उठाने के लिए एनडीए सरकार की जमकर तारीफ की। उन्होंने नेशनल हाईवे बिल्डिंग प्रोग्राम और यूपीए की आधार योजना को आगे ले जाने के लिए भी सरकार की सराहना की। चिदंबरम ने ये बातें अपनी किताब ‘अनडॉन्टेड: सेविंग द आइडिया ऑफ इंडियाÓ के रिलीज के मौके पर कहीं।
यदि चिदंबरम एनडीए सरकार की उक्त विषय पर तारिफ कर सकते हैं तो सेना को जवाब देने की स्वतंत्रता देने के पीएम के साहसिक निर्णय की प्रशंसा में दो शब्द कहने में क्यों शर्म महसुस हुई।
यदि अन्य कोई इस संबंध में प्रधानमंत्री की और सरकार की प्रशंसा भी करे तो उसे राजनीतिकरण कैसे कहा जा सकता है।
देशद्रोह किसे कहते हैं इसमें कन्फ्यूजन क्यों?
सेक्युलर शब्द को मनचाहे अ नुसार कांग्रेस परिभाषित करती रही है। इसी प्रकार से कांग्रेस तथा कुछ अन्य नेता चाहते हैं कि वे देशद्रोह शब्द को भी संशय की कोठरी मेें डाल दें।
राहुल गांधी की एक सभा में नारे लगे चौकीदार चोर है। आज पीएम मोदी की अमेठी में ुहुई सभा में भी नारे लगे राहुल गांधी चोर है। ये नारे अशिष्ट है, अनुचित है पर देशद्रोह नहीं। इन नारों को बर्दाश्त किया जा सकता है।
ठीक इसके विपरीत पहले सर्जिकल स्ट्राईक पर और अब एयरस्ट्राईक पर प्रश्र चिन्ह लगाकर विपक्ष ने क्या देशद्रोह किया है या नहीं। इस संबंध में उसी प्रकार से कन्यफ्यूजन क्रिएट किया जा रहा है जिस प्रकार से जेएनयू में आजादी के जो नारे लगे थे और उस संबंंध में कन्हैय्या कुमार और ऊमर खालिद पर जो देशद्रोह के जो मुकदमें चल रहे हैं उसमें कन्फ्यूजन विपक्ष द्वारा पैदा किया जा रहा है। इस प्रकार की देशविरोधी हरकतों को बर्दाश्त करना देशहित में नही।
जेएनयू के उक्त छात्रों पर देशद्रोह के मुकदमें दायर कर दिल्ली पुलिस द्वारा चार्जशीट पटियाला कोर्ट में प्रस्तुत कर दी गई परंतु मांगने पर भी दिल्ली सरकार ने उस संबंध में अपनी सहमति या असहमति नहीं दी है। एक प्रकार से दिल्ली सरकार द्वारा देशद्रोह के मुकदमे का सामना कर रहे छात्रों को बचाने का ही प्रयास है। क्या यह प्रयास भी देशद्रोह नहीं है?
कंधार में प्लेन हाईजेक के समय यह कहा गया था कि एक दो आतंकवादियों को न छोड़कर सरकार दो तीन सौ विमान यात्रियों को क्यों मरवाना चाहती है? इस मुहिम के जोर पकडऩे पर आतंकी मसूद अजहर को उस समय की वाजपेयी सरकार ने रिहा कर दिया था।
उसी प्रकार की मुहिम अभी भी भारत–पाक में तनाव के बीच ट्विटर पर ट्रेंड करते रहा ‘स्ड्ड4 हृश ञ्जश ङ्खड्डह्म्Ó, दोनों देशों के लोग कर रहे ट्वीट। यह तो नए भारत और इस नए भारत की सरकार की कुटनीति का ही परिणाम है कि हमें अभिनंदन का अभिनंदन करने का ऐतिहासिक अवसर प्राप्त हुआ।
पक्ष विपक्ष दोनों को चाहिये कि वे विंग कमांडर अभिनंदन का अभिनंदन और एयर स्ट्राईक की सफलता का जश्र पूरे देश के साथ मिलकर उसी प्रकार से मनाएं जिस प्रकार से हम दिवाली, होली मनाते हैं।
एयर स्ट्राइक पर उसी प्रकार से प्रश्र चिन्ह उपस्थित न करें जिस प्रकार से सर्जिकल स्ट्राईक पर प्रश्र चिन्ह किया गया था।
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