23 February 2019
जैश–ए–मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को पाकिस्तान से ज्यादा चीन का संरक्षण प्राप्त है। चीन उत्तरकोरिया के बाद पाकिस्तान का भी गॉड फादर है। उत्तरकोरिया के जरिए चीन अमेरिका पर नकेल कसना चाहता है।
यह सर्वविदित है कि ग्लोबल जिहाद का जन्मदाता और उसे पूरे विश्व में फैलाने का कार्य पाकिस्तान ही कर रहा है। उत्तर कोरिया के बाद पाकिस्तान को संरक्षण देकर चीन भारत को अस्थिर करने का प्रयत्न करते रहता है।
विश्व शांति के लिये उत्तर कोरिया और पाकिस्तान के साथ–साथ चीन भी खतरा बना हुआ है। ये सभी आतंकवाद के पोषक हैं।
पाकिस्तान की आतंकवादी करतूतों का जब–जब भारत विश्व के देशों के समक्ष सबूत पेश करता है तब–तब हाफिज सईद के संगठनों को पाकिस्तान कई बार प्रतिबंधित कर चुका है और प्रतिबंधित करने बाद उसे स्वतंत्र कर संरक्षण भी देते रहा है।
दिखावे के लिये कल पाकिस्तान ने हाफिज सईद के संगठनों को पुन: प्रतिबंधित किया। आज भी एफएटीएफ और हृस्ष्ट के दबाव में आकर पाकिस्तान ने जैश का मुख्यालय लिया कब्जे में लेने का नाटक किया है।
Óसीमा के उस पार जब भी ऐसे हमले होते हैं तो पाकिस्तान पहले सबूत मांगता है. हाफिज् सईद द्वारा कराये गये २६/११ मुंबई हमले के सबूत भारत ने दिये क्या हुआ?
पठानकोट पर हमले के सबूत भी दिये और पाकिस्तान के जांच करने वाले डेलिगेशन को पठानकोट हमले का निरीक्षण करने की अनुमति भी दी पर क्या हुआ?
पुलवामा आतंकी हमले की जिम्मेदारी जैश–ए–मोहम्मद के सरगना अजहर मसूद ने वीडियो प्रसारित कर ली है। इसका उल्लेख यूएनएससी के पाकिस्तान के प्रति किये गये निंदा प्रस्ताव में भी उल्लेखित है। बावजूद इसके पाकिस्तान सबूत भारत से मांगते रहा परंतु भारत ने अब पाकिस्तान को सबूत न देकर विश्व के देशों के समक्ष पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों को एक्सपोज किया।
इसका ही असर है कि यूएनएससी में निंदा प्रस्ताव पारित हुआ। यद्यपि इस प्रस्ताव को पारित कराने में चीन एक हफ्ते तक रोड़े अटकाते रहा।
परंतु आश्चर्य इस बात का है कि हृस्ष्ट बयान पर चीन का फिर जागा ‘आतंक प्रेमÓ
आतंकवाद के जनक के तौर पर पाकिस्तान दुनियाभर में बदनाम हो चुका है, पर उसके सदाबहार दोस्त चीन का रवैया नहीं बदला है। पहले वह संयुक्त राष्ट्र में जैश–ए–मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के बचाव में ढाल बनकर खड़ा था और अब पुलवामा आतंकी हमले पर भी उसकी नापाक हरकत उजागर हो गई है। एक हफ्ते तक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बयान को रोके रहने के बाद भी जब उसकी मंशा नाकाम हो गई तो उसने हमले की निंदा वाले इस बयान को कम करके आंकने की कोशिश की है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य देश चीन ने पुलवामा आतंकी हमले में जैश–ए–मोहम्मद को नामजद करते हुए जारी बयान को शुक्रवार को तवज्जो नहीं दी। चीन ने कहा कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन का जिक्र सिर्फ सामान्य संदर्भ में हुआ है और यह किसी फैसले को प्रदर्शित नहीं करता है। आपको बता दें कि सुरक्षा परिषद ने इस जघन्य और कायराना आतंकी हमले की गुरुवार को कड़े शब्दों में निंदा की थी।
कई स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय न्यूज रिपोट्र्स में यह सामने आ चुका है कि जैश पाकिस्तान में है. वह बहावलपुर इलाके से संचालित होता है. माना जाता है कि जैश का सरगना मसूद अजहर यहीं रहता है. जैश पर पाकिस्तान में साल 2002 से बैन लगा हुआ है, लेकिन वह अलग–अलग नाम और पहचान के साथ देश में सक्रिय रहा है. ऐसा ही लश्कर–ए–तैय्यबा और अन्य आतंकी संगठन करते हैं. इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि ये संगठन पाकिस्तान की धरती पर मौजूद हैं.
यहॉ यह उल्लेखनीय है कि जिस प्रकार से पाकिस्तान को पंडित नेहरू ने पीओके को भेंट किया उसी प्रकार से सियाचिन के पास शक्सगम घाटी में चीन ने बनाई 36 ्यरू लंबी सड़क, क्क्र्य ने की थी गिफ्ट। इसीलिये चीन मसूद अजहर की ढाल बना हुआ है।
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