15 February 2019
हमारी लड़ाई कश्मीर तक सीमित नहीं, हमारी लड़ाई दिल्ली और गुजरात तक जाएगी: जैश–ए–मोहम्मद ।
जैश–ए–मोहम्मद द्वारा की गई उक्त घोषणा से स्पष्ट है कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी घटनाएं जो हो रही हैं वे कश्मीर तक सीमित नहीं हैं बल्कि उनकी लड़ाई संपूर्ण भारत के विरूद्ध जिहाद है।
पाकिस्तान फंडेड हुर्रियत कश्मीर में तथा इसी प्रकार की अन्य संस्थाएं कश्मीर के अलावा पंजाब तथा अन्य स्थानों में भी अपनी गतिविधियां लोकल माड्युल्स के माध्यम से जारी की हुई हैं।
अफसोस इस बात का है कि वोट बैंक पॉलिटिक्स और तुष्टिकरण की नीति पर अनेक विपक्षी पार्टियां और उनके नेता चल रहे हैें।
वहॉ पर अफजल गुरू के शहीदी दिवस मनाया गया। उस समय उनसे प्रोत्साहन पाकर ही जेएनयू में आजादी के नारे लगे। आजादी के नारे लगे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर और उनकी पीठ थपथपाने के लिये राहुल गांधी, केजरीवाल वामपंथी नेताओं के साथ जेएनयू में पहुंच गये थे।
अब अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी में भारत विरोधी और पाकिस्तान के पक्ष में नारे लगे। इसके लिये यूनिवर्सिटी के १४ छात्रों पर देशद्रोह का मुकदमा भी उसी प्रकार से दायर हुआ है जिस प्रकार से जेएनयू के पूर्र्व छात्र नेता कन्हैय्या कुमार उमर खालिद आदि पर दायर हो चुके हैं।
तुष्टिकरण की नीति और वोटबैंक पॉलिटिक्स की वजह से ही कश्मीर में अलगाववाद को प्रोत्साहन मिल रहा है। अभी दो तीन दिनों पूर्व पीडीपी के नेता मीर ने अफजल गुरू और मकबुल बट के अवशेष लौटाने की मांग की है।
तुष्टिकरण की नीति और वोटबैंक पॉलिटिक्स की वजह से ही मणिशंकर अय्यर और नवजोत सिंह सिद्धू पाकिस्तान जाकर वहॉ के पीएम इमरान खान की प्रशंसा में कसीदे गढ़े और भारत के प्रधानमंत्री भारत की सरकार को जी भर के कोसा यहॉ तक की मणिशंकर अय्यर ने मोदी सरकार को हटाने के लिये आईएसआई की सहायता तक की मांग कर डाली थी।
आतंकवादियों से मुठभेड़ के समय भारत की सेना पर पत्थर फेंकने वालों को फारूख अब्दुल्ला देश भक्त की संज्ञा देते हैं और अपनी पार्टी के लोगों को हुर्रियत के पीछे–पीछे चलने का आग्रह करते हैं। ये ही नेता अब कल शरद पवार के निवास स्थान पर इक_े हुए थे।
कहने का तात्पर्य यह है कि हमें अपने राजनीतिक मतभेदों को भुलाकर देश की एकता और सुरक्षा के लिये आतंकवादी अलगाववादी गतिविधियों को प्रोत्साहन नहीं देना चाहिये।