7 January 2019
रक्षामंत्री और वित्तमंत्री का संसद मेंं प्रस्तुत राफेल सौदे के तथ्यों की काट राहुल गांधी सबूत प्रस्तुत कर क्यों नहीं करते?
राहुल गांधी ने भी इस सौदे को लेकर सीधे–सीधे और तार्किक सवाल पूछे। वित्तमंत्री अरूण जेटली और रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने तार्किक उत्तर भी तथ्यों सहित दिये।
लोकसभा में एक सार्थक, तार्किक बहस बहस चल रही थी, लेकिन अंत में कांग्रेस अध्यक्ष ने दो बार आंख मारकर राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे से जुड़ी इस पूरी बहस की गंभीरता को कम कर दिया। ऐसा लगा कि जैसे वो इस मुद्दे पर मजा ज्यादा लेना चाहते हैं और रक्षा मंत्री के जवाब में उनकी दिलचस्पी बेहद कम है।
राहुल गांधी को अपना आदर्श प्रिया प्रकाश को नहीं बनाना चाहिये। दोनों की उम्र और जिम्मेदारियों में जमीन आसमान का अंतर है। प्रिया प्रकाश बचकानी हरकत कर शोहरत प्राप्त कर सकती हैं परंतु उसका अनुकरण कर कांग्रेस अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी निर्वाह करने वाले ४५ वर्षीय राहुल गांधी प्रसिद्धि की जगह तिरस्कार के पात्र बनेंगे।
पॉलिटिकल स्टॉक एक्सचेंज डेटा के मुताबिक दिल्ली के 49 प्रतिशत लोग आज भी नरेंद्र मोदी को आगामी प्रधानमंत्री बनता देखना चाहते हैं। अक्टूबर 2018 में भी पीएम मोदी की लोकप्रियता 49 प्रतिशत थी जिससे स्पष्ट है कि विधानसभा चुनाव के बाद भी मोदी लहर में कोई बदलाव नहीं आया है। दिलचस्प बात यह है कि अक्टूबर 2018 में राहुल गांधी की लोकप्रियता 43 प्रतिशत से गिरकर जनवरी 2019 में 40 प्रतिशत हो गई है।
राहुल गांधी हर बार यही आरोप लगा रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने अनिल अंबानी को 30 हजार करोड़ रुपये का लाभ पहुंचाया है। हालांकि अरूण जेटली ने कल लोकसभा में बता दिया कि ये सौदा कुल 58 हजार करोड़ रुपये का है। इसमें पचास फीसदी यानि 29 हजार करोड़ का ऑफसेट क्लाज है जिसमें सौ से ज्यादा कंपनियां हैं। इन सौ कंपनियों में से अनिल अंबानी की कंपनी को 870 करोड़ का काम मिला है, तो तीस हजार करोड़ का आंकड़ा कहां से आया?
लेकिन इससे राहुल गांधी को कोई मतलब नहीं है। जिस प्रकार से किस फिल्म का डायरेक्टर स्क्रीप्ट लिखकर देता है अभिनेता को उन्हें उसी प्रकार से स्क्रीप्ट लिखकर दे दी जाती है।
इसी स्क्रीप्ट का इस्तेमाल राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ के चुनावों में किया। राहुल को लग रहा है कि इन्हीं स्क्रीप्ट का असर तीनों राज्यों में हुआ और अब वे अगले लोकसभा चुनाव तक यही स्क्रीप्ट बोलेंगे।
राहुल गांधी को अपना आदर्श प्रिया प्रकाश को न मानकर स्वामी विवेकानंद को माने और संसद में भाषण देते समय वे स्वामी विवेकानंद के शिकागो में दिये गये भाषण से कुछ शिक्षा ग्रहण करें तो उचित रहेगा।