18 December 2018
क्रिश्चियन मिशेल के प्रत्यार्पण के बाद अब विजय माल्या और दाऊद के भतीजे सोहेल शेख का भी प्रत्यार्पण संभव है। सुप्रीम कोर्ट से राफेल मुद्दे पर भाजपा को क्लीन चिट मिली है। दिल्ली पटियाला हाऊस कोर्ट ने कहा : राजनेताओं की शह पर हुआ नरसंहार और कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को मिली उम्रकैद की सजा।
डीएमके प्रमुख स्टालिन ने कांगे्रस अध्यक्ष राहुल गांधी को विपक्ष की तरफ से कांग्रेस का उम्मीदवार बनाने की घोषणा से विपक्षी एकता को झटका लगा है।
इस सप्ताह की उक्त घटनाओं ने झूठ बोलती झूठ चबाती कांग्रेस पर करारा तमाचा जड़ा है।
राजस्थान मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभाओं के चुनाव नतीजों ने भाजपा के अहम पर भी एक अच्छा करारा तमाचा जड़ा है।
सरकारी तंत्र में एक ही स्थान पर दीर्घकाल तक जमें अधिकारियों का अनेक कारणों से प्राय: तबादला कर दिया जाता है।
परंतु भाजपा के अहम ने उक्त तबादलों के महत्व को नहीं समझा । मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में तीन बार से शिवराज सिंह चौहान और रमन सिंह ही मुख्यमंत्री रहे थे। चौथी बार भी उन्हीं चेहरों को मुख्यमंत्री के रूप में आगे कर चुनाव लड़ा गया। भाजपा हाईकमांड को चाहिये था कि वे नए चेहरों को मुख्यमंत्री के रूप में लाते।
इसी प्रकार से भाजपा को चाहिये था अधिंकाश अपने विधायकों की जगह नए प्रत्याशियों को मौका देना।
इसके अलावा बागी प्रत्याशियों को मनाने का भी प्रयास जितना होना चाहिये था उतना नहीं हुआ।
किसान कर्जा माफी के जिस मुद़्दे पर भाजपा उत्तरप्रदेश में अप्रत्याशित विजय प्राप्त की थी उसी हथियार को कांग्रेस ने भी इन तीन प्रांतों के विधानसभा चुनाव में उपयोग किया।
कांग्रेस के घोषणापत्र में इनके उल्लेख होने के उपरांत भाजपा हाइकमांड तक समाचार पत्रों व अन्य संसाधनों के जरिये यह खबर पहुंच चुकी थी कि किसान कर्जमाफी के झांसे में आकर मंडियों में अपना धान नहीं ला रहे हैं। वे भाजपा के विरूद्ध मतदान करने की ठान चुके हैं। बावजूद इसके भाजपा ने इस पर ध्यान नहीं दिया।
धनबल और लगातार चुनावों में मिल रही सफलताओं से भाजपा के अहम में इजाफा हुआ।
अन्य प्रमुख कारण यह रहा कि जिस प्रकार से गुड़ के चारों तरफ चीटियां इक_ी हो जाती है उसी प्रकार से सत्तारूढ़ भाजपा के नेताओंं, मंत्रियों के इर्द–गिर्द चापलूस मंडरा रहे थे।
चापलूसों की फौज सत्तारूढ़ भाजपा पर उसी प्रकार से चिपके हुए थे जिस प्रकार से गणेश जी ने शिव व पावर्ती जी की परिक्रमा कर कार्तिकेय को पराजित कर दिया था।
भाजपा के जिम्मेदार उच्च पदाधिकारियों को इससे सबक लेना चाहिये।
कांग्रेस और राहुल गांधी को यह सोचना चाहिये था कि केजरी–गोएबल्स डाक्ट्राइन कुछ समय के लिये तो कामयाब हो सकती है परंतु अंत में इस डाक्ट्राइन की पोल खुल जाती है।
कांग्रेस लगातार झूठ बोलती रही और झूठ ही चबाती रही।
गोएबल्स डाक्ट्राइन पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव सोनिया गांधी ने भी अपनाया था। उन्हीं का अनुकरण करते हुए राहुल गांधी एक ओर एक्सिडेंटल हिन्दू बन गए जनेऊधारी रामभक्त शिवभक्त अपने आपको कहने लगे और दूसरी ओर एक नए रूप में मुस्मिलों के वोट प्राप्त करने के लिये पाकिस्तान के चंगुल में फंसते गए।
राहुल गांधी स्वयं भी और कांग्रेस भी राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने के लिये जिस प्रकार से उतावलापन जाहिर किये उससे विपक्षी एकता भी अब तार–तार हो गई है।
अमेरिका में जाकर फिर कर्नाटक मेंं तथा अन्य अवसरों पर राहुल गांधी स्वयं घोषणा कर चुके थे कि वे प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हैं।
कांगे्रस पार्टी ने भी अपने एक प्रस्ताव में इस प्रकार का संकेत दिया था।
इसका विरोध होने पर राहुल गांधी ने ममता माया तक का भी नेतृत्व स्वीकार करने का संकेत दिया था।
पुन: डीएमके प्रमुख स्टालिन ने विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद के लिये राहुल गांधी का नाम आगे कर ममता माया अखिलेश केसीआर तथा अन्य नेताओं को नाराज कर दिया है। इसी कारण अभी मुृख्यमंत्रियों के शपथ समारोह में इनकी उपस्थिति नहीं हुई। १९८४ नरसंहार संबंधित दिल्ली पटियाला हाऊस के फैसले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा होने और उस फैसले में यह उल्ल्लेखन होने से कि नरसंहार में राजनेताओं की (अर्थात कांग्रेस) की शह रही थी आप पार्टी ने भी कांग्रेस के साथ कांग्रेस के खूनी पंजे से हाथ मिलाने से पीछ हट गई है।
क्रिस्चियन मिशेल के प्रत्यार्पण से अगस्ता वेस्टलैंड में सिग्रोरा गांधी कौन थी और कोडवर्ड में किन–किन नेताओं को घूंस की रकम बांटी गई थी इन सब बातों का खुलासा कुछ हुआ है और बहुत कुछ होना बाकी है। इसी प्रकार से विजय माल्या के प्रत्यार्पण के बाद भी बहुत कुछ खुलासा होंगे जिनसे कांग्रेस और उनके नेता संकट में पड़ सकते हैं।
राफेल मुद्दा उछालकर उसी प्रकार से झूठ पर झूठ बोले जा रहे थे जिस प्रकार से कांग्रेस पार्टी आज धर्माचार्यों के मंत्रोंचार के साथ हुए शपथ समारोह में हर–हर महादेव के नारे लगवाये गये।
इसी प्रकार से कांग्रेस कार्यालयों में भी जीत के बाद भगवा ध्वज लहराये गये जय श्री राम के नारे लगाये गये।
यह सब मुह में राम बगल में छुरी के मुहावरे को चरितार्थ करते हैं। यह पब्लिक है अब सब जान गई है।
जिस प्रकार से विधानसभा चुनाव में भाजपा के अहम को तमाचा जड़ा गया है उसी प्रकार से आने वाले २०१९ के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को भी जनता सबक सीखाएगी।
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